यूँ नज़र आये खुद को इन दिनों, अपने ही बड़े काम आये! यूँ मिले अजनबियों से इन दिनों, अब अपनों में उनका नाम आये! यूँ सपनों को संवारे हैं इन दिनों, अपनी हकीकतों को रास आये! इल्म था, एहसास था, अब खबर है, अब के बार जो वहाँ घूम आये! यूँ गले लगाये कि हम तारीख हैं, हम में जो उनको अपने नज़र आये! दिल में थी, जगह उनके, ज़हन में थी हमारे यकीं को रास्ते नज़र आये! नफ़रते तो यहाँ भी तमाम पलती हैं, क्यों उनके गैहूँ में नज़र घुन आये?
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।