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अखूंड भारत!

 हिंदू धर्म करो, थोड़ी शर्म करो, थोड़ी और, नहीं, इतनी काफी नहीं! कितनी भी काफी नहीं! और अगर गर्व है तो, उठो, नाम पूछो  राम पूछो! और अगर शक है, तो गर्व करो, पर्व करो, उसके सर को धड़ के दूसरी तरफ करो, न बांस रहे न बासुंरी, बस रेप, त्रिशूल, छुरी! फिर बस बचेंगे हिंदू, देश में, दिमाग में, सोच में, समाज में, जगह कम ही पड़ेगी, तंग सोच को, लगनी भी कितनी है, कातिलों का झुंड, भारत अखुंड!

बुरा मानो कि होली है!

सरकार की लाठी बोलती है,  नौज़वानों से वृंदावन होली खेलती है,  हैदराबाद में सरफ़ुट्टवल करके,  आज़ादी के खून से खेली है, बुरा न मानो होली है! नदी नीयत सब सूखी है,  जमीन प्यासी है, भूखी है,  किस तरह की जिद्द है, फ़िर, "बुरा न मानो होली है?" बुरा न मानो, गोली है,गाली है, घूंसे-लात, गिरेबां में हाथ, होली है, दहेज़ में बोली है, मर्दों की दुनिया में औरत, जलती है, और बड़बोली है! बुरा न मानो, प्रजा बड़ी भोली है, भक्त है, और ख़ाली इसकी झोली है, लगे है सब इसमें इश्तेहारी सपने भरने, कौन देखता है की आज़ादी की होली है? बुरा न मानो चोली है,  चरित्र-ए-मरदुए की होली है,  नीयत से आज़ाद है,  ये किशन की बोली है,  नारायण, नारायण! बुरा न मानो मौसम गर्म है,  आग सी लगी है, बदन में,  ठंड़ा करने का कोई मर्म है,  मर्द को शरीफ़ साबित करना धर्म है!

गाय, अखलाक और हम!

गाय!(या बकरी) गाय हिन्दू बकरा मुसलमान, और देश में गधे पहलवान! गाय ने इंसान को मारा, गाय फ़रार बकरा गिरफ्तार! मुबारक हो गाय बकरी निकली, और भेड़चाल भीड़ भेड़िया ! किस गाय पर इलज़ाम लगे, किस इंसान को मासूम कहें! बकरी गाय हो गयी, अख़लाक़ तबाह!    हाथ की सफाई ऐसे, बकरी बनी गाय कैसे!? अखलाक (नैतिकता) अख़लाक़ को कुर्बान कर दिया, अपनी परम्परा का बड़ा नाम ? अख़लाक़ माने फ़लसफ़ा, तरीका, सोच अब आपका हमारा भारत है एक खोज! हमारा अख़लाक़ कहीं खो गया, और ज़मीर गहरी नींद सो गया! अख़लाक़ का खून पानी निकला, वहशियत की निशानी निकला ! एक अख़लाक़ का खून हुआ, एक अख़लाक़ जुनून हुआ! अखलाक का खून मज़हबी ज़ुनून! हम क्या काम मासूमियत जो जान ले ले, आपसे ही आपका इंसान ले ले! क्या हम सिर्फ़ भीड़ हैं,  या हमारी कोई रीड़ है? अर्थी ले कर निकले मानवता कि, और सब कहते, 'राम नाम सत्य है' कुछ सोच कर भीड़ में शामिल हैं, कुछ कम या ज्यादा, पर कातिल हैं!

अखलाक का खून!

आत्मचिंतन, समुद्र-मंथन प्राचीन,  परंपराम, गौरव सहनशीलता, सहिष्णुता, वेद-पुराण,  ज्ञान-गुणज्ञान गीता का दर्शन समझ- संस्कृति शून्य की खोज दशमलव का विज्ञान भारत महान हाथी  के दाँत दिखाने वाले और खाने वाले नरभक्षी, वहशी इंसान सोच हथियार, समझ तलवार  जाति छोटी-बड़ी औरत पैरों में पड़ी गालियों में माँ-बहन का भूत, अहं हिंदू होने का या कमतरी का सबूत कपटी-धूर्त मंदिर में मूर्त पुजारी पहलवान सोने की खान चढावे को बढावा हिंदू को हिंदू का खून गाड़ा दूसरे का खून पानी कल की कहानी गाय माँ और नानी, मासूम जवानी,  गुस्से की निशानी मज़हब का ज़ुनून अखलाक का खून!

राम, धरम और एक आसा!

आसा अब राम जपे या अपने कान पकड़े, पैर छूने गये तो बाबा ने गरेबान पकड़े! धर्म का नाम बलि है, गवाहों को स्वर्ग मिली है!  आसा के तो राम हो गए, बाकी सब 'हे राम!हो गए ॐ जय जगदीश हरे, आसा से सब राम मरे! आसा ने कितनों को राम का प्यारा किया, मर गए सब जिनने आसा से किनारा किया  रामप्यारे, वारे न्यारे, भक्त बधारे, मूरख सारे सब झूठी आसा के मारे! राम के बंदे हैं या राम के धंधे मस्ज़िद की कब्र पर मंदिर बनाएंगे, इससे ज्यादा घटिया लोग कहाँ पाएंगे  मज़हब इंसाँ हमको करता है थोडा कम, धर्म धंधा है कामयाब गरीब गले का फंदा! इस मुल्क में अब राम की शरण है, या आपातकालीन मरण है!