उड़ो उस सपने की तरह जो इस धरातल पर पला है बहो उस खुशबू की तरह जो कुछ मांगती नहीं चलो उस लहर की तरह, जो जीती है, हर पल के लिये अंत की तस्वीर आखॊं में लिये गिरो उस बीज़ की तरह जो बादल के बरसने और सुरज के चमकने का कारण बनता है रुको तो ऎसे कि किसी के चलने का कारण बनो मुस्कराओ, मदमाओ आंधी में झुमते तरुवर की तरह बहक जाओ भी तो पैरॊं में अपनी जमीं को लिये पहचान हो अपनी ऐसी कि कहीं भी खो जाओ बन के नदी सागर को भिगो जाओ!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।