रंग सबके हिस्सों के, परदे आँखों पर किस्सों के, आप पूरी तस्वीर हैं, मूरख देखे हिस्सों से! इरादों के रंग जब जन्म लेते हैं, जिद्दी सच्चाइयों को बदल देते हैं, अब हाथों को पीछे मत खींचना, चलो फिर एक आज को कल देते हैं! हाथ बढ़े हैं आज कदम कब साथ देंगे, हरकत यकीं को दीजे, मुश्किल को आग देंगे रंगों में जान देखी, न कहे कि जबान देखी आप ही अपनी सच्चाई हैं, और कोशिशें (सारी) हराम देखी और कलाकार(मुग्धा) ने कहा रंगों से रंगीले नगर जा पहुँचे एक नयी दिशा आ पहुँचे देखें अब खेल नया कोई अगली दीवार कि सज़ा कोई सजने कि सज़ा है कबूल कर लीजे उपनी हरकतों को उसूल कर लीजे जिन रास्तों के मोड़ नहीं होते उन रास्तों को फ़िज़ूल कर लीजे कम्युनिकेशन मीडिया फॉर चिल्ड्रेन के पोस्ट ग्रैज़ुऐशन(एस अन डी टी विश्वविद्यालय पुणे) स्टुडेंट्स और मुग्धा कि अभिव्यक्तिओ...
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।