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मोहब्बत ख़ुद से!

खुद से मोहब्बत का रिश्ता बरकरार है, कभी इकरार है कभी इंकार है, बात नहीं होती अक्सर, दिल भर, दुनिया, ये बड़ी दीवार है! खुद से मोहब्बत का रिश्ता बेकरार है, जाहिर है क्या ओ क्या पुर इसरार है! बता देता है सब कुछ, अक्सर, कभी मुंह खोलने से इंकार है! खुद से मोहब्बत का रिश्ता बेकार है, खुद है गलती, खुद ही इंकार है, सर चढ़ बोलता है, शाबाश! पलक झपकते निकम्मा होने तैयार है! खुद से मोहब्बत का रिश्ता इसरार है, रूठने - मनाना ये ही प्रकार है, आईना है सामने हरदम, पर कौन इसे देखने तैयार है? क्या खेल है खुद से मोहब्बत का रिश्ता? क्यों इसमें कोई जीत हार है? होड़ है आगे रहने की, ज़हन में, दिल को ये दौड़ नागवार है! ख़ुद से मोहब्बत का रिश्ता दीवार है, हर मोड़ कम करने को, दुनिया सर चढ़ बैठी है, ओ ये रिश्ता काबिल सिपहसलार है!

हम आप आज कल!

वो ज़हर जो हमको क़ातिल करता है, रामबाण है, अचूक असर करता है! कौन है जो दिल ये नफ़रत भरता है? आप ही आइए जहां हम मिलते हैं ! अलग चाल है सबकी और चलते हैं!! रिश्ते क्यों हम को अलग करते हैं? जो भी ख़बर मिली वो ही सच है? बुरी है बात और किसी के सर है! डर और नफ़रत आपके घर है! किन रंगों से आईने रंगवाए हैं? क्यों नफ़रत नज़र नहीं आए है? सड़क पर मार दिया ये न्याय है? रामराज्य, राम नाम, आसाराम, बाबाराम, घोर कलयुग है और ये सब राम के काम? सोच, तर्क, विज्ञान का तो काम तमाम! धर्म का धंधा, खरीददारी चंदा, राम नाम में बढ़े फायदे में बंदा, घटिया नीयत और काम गंदा!

दूर के पास!

बिछड़े नहीं पर दूर तो हैं, इन दिनों कुछ मजबूर तो हैं! सिर्फ जरूरत की बात नहीं  एक दूजे को जरूर जो हैं! चौबिसों घन्टे की मुलाकातें  ख़ासे हम मसरूफ जो हैं! उनसे ही हैं बातें सारी कैसे कह दें दूर से हैं? हम कहते वो हूर से हैं, हम उनको लंगूर से हैं! वो ही नाइत्तफाकी हर बात यूँ एक दूजे के मंजूर से हैं! इत ना तज़ुर्बा है एक दूजे का, दूरियों से कहाँ उनसे दूर से हैं? बात करने की गुज़रिशें उनकी हमको कब बोली के शऊर हैं? तसल्ली है सो वो अपनी जगह, नज़दीक और भी पहलू हुज़ूर हैं! होने से मेरे मौसम नहीं बदलते, जरूरत में हवा का झोंका जरूर हैं!

रिश्ते!

रिश्ते सारे नाप बन गए,  कैसे ये हम आप बन गए? कहने को सब साथ बन गए, गए तो खाली हाथ बन गए? लेनदेन से जाँच रहे सब, कैसे ताल्लुकात बन गए? अपनी ज़िद्द के पक्के सब, कितने इल्ज़ामात बन गए? हाथ खड़े कर दिए हमने, यूँ नामुमकिन बात बन गए! ख़ामोशी आवाज़ बन गई, और सब चुपचाप सुन गए! कैसे ये हालात बन गए? आप मेरे जज़्बात बन गए? न मानी बात बेमानी हुई, मानी क्यों इसबात बन गए? (मानी - accepted ; मानी - meaning; इसबात - certain, proof) नज़दीकी में जात बन गए, खून की घटिया बात बन गए

क्या बात करें?

कोई भी आह दिल तक पहुंच जाए कैसे वो हालात करें, सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें! वो दौड़ ही क्यों जिसमें सब पराये हैं, तेज़ रफ़्तार दुनिया और बहुत दूर एक दूसरे से आये हैं, चाल बदलें अपनी और नयी रफ़्तार करें! ....सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें! बच्चों के हाथ क्यों हाथ से फ़िसलते हैं, जदीद* तकनीक है के मशीनों से संभलते हैं (*आधुनिक) बचपन से बात हो ऐसे कोई व्यवहार करें! ....सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें! अगर सोच है अलग तो आप पराए हैं, रिश्तों को सब नए मायने आए हैं,  ख़बर दुनिया की ज़हर जिगर के पार करे! .....सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें! चल रहे हैं मीलों और अब भी बहुत दूर हैं, आप कहते हैं घर बैठे सो मजबूर हैं, कैसे दर्द मजलूमों के हमको चारागर* करें! (*Healer) ....सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें! क़यामत है दौर और कोई नाखुदा* नहीं, (नाविक) मजबूत कदम हों खोखली दुआ नहीं वो आवाज़ जो सुकून दे, जिसका ऐतबार करें! ....सुन सकें एक दूसरे को अब ऐसी कोई बात करें!

आसान रिश्ते!

यूँ आज उनसे मुलाकात हुई, चाह तो बहुत थी पर कहाँ कोई बात हुई, वो डर गए, हम भी थोड़ा सहम गए, पर इरादा उनका भी बुरा नहीं था, हम भी नेकनीयत ले कर रुके रहे, कुछ लम्हे साथ गुज़ारे, उसने हमको देखा, हम भी खूब निहारे, नज़र मिली पर बात कुछ नहीं चली, कुछ हमने समझा, कुछ उसने भी सोच लिया, बस ये मुलाकात, मुलाक़ात ही रही, जो अधूरी थी वो ही पूरी बात रही, रिश्ता यूँ भी होता है, क्या मिला, क्या बना, कौनसा रास्ता,  इस सब से नहीं वास्ता! बस मैं मैं रहा, वो वो रहा, वो अपनी दुनिया में, मैं अपने रास्ते!!

ये पतंग!

ये पतंग है, पर सिर्फ पतंग नहीं, ये तबीयत है, नेक नीयत है, मसला-ए-तरबियत है! आसमाँ से मिलने को चलती है, 'नाही कोयू से बैर' बेफिक्र मचलती है! न कोई जल्दी है, न बेचैनी, उड़ना ही आसमान है, काम कितना आसान है! न डर किसी का,  न मंज़िल का दवाब, जैसे सच कोई ख्वाब! कल्पना की उड़ान है,  इसी में तो जान है, न कटना, न काटना आनंद मिलना, बांटना! (श्रीलंका, कोलंबो में पतंग उड़ाते है, काटते नहीं! एक पतंग 100 मीटर लंबी देखी, यूँ भी संभव है अगर काटने, हड़पने, झटकने, चिल्लाने से बाज़ आएं! )

कुछ याद सा!

पास है मेरे पर खो गया है! क्यूँ आज ऐसा हो गया है!! दूर है पर महसूस करती हूँ! क्यों मैं ये अफसोस करती हूँ!! अपना था और अपना ही रहा! हक़ीकत, अब सपना सा रहा!! भूलने को तो कुछ भी नहीं! एक साथ था अब याद सा रहा!! आवाज़ अब भी मेरे कानों में है! फिर क्यों सोचूं क्यूँ गुम सा है!! मेरी हँसी थोड़ी अकेली पड़ गई! खिलखिलाहट का मज़ा कम सा है!! उम्मीद, हिम्मत, कोशिश सिखाई! बहुत है फ़िर भी ज़रा कम सा है!! मेरा बचपन ओ जवानी भी था! वो अक्सर मेरी कहानी सा था!! चल पड़ी हूँ अपने रास्तों पर मैं! हर मोड़ कुछ अकेलापन सा है!!

पास समंदर!

 पास समंदर  और दूर तक, साथ भी ओ अपने आप भी, मिले भी ओ अंजान भी, पहचान हुई, बस नाम की, किनारे ज़रा तर लिए, चुल्लू भर लम्हे लिए, आए ओ गुज़र लिए, ठहरना क्या है? क्यों है? सफ़र भी घर है, रास्ते कभी, किसी को रोकते नहीं!! चलिए, बह लीजिए!

क्या बात हुई?

कल तो जैसे रात ही नहीं हुई, आपकी हमारी जो बात नहीं हुई! बात करके बोले कि बात नहीं हुई, क्या बोलें, ये तो कोई बात नहीं हुई! ख़ामोश थे दोनों क्या बात करें, पर कैसे कह दें की बात नहीं हुई! सुनना था उनको सो ख़ामोश थे, शिकायत, 'ये तो कोई बात न हुई'! नज़रें बोलती हैं, अंदाज़ बोलते हैं, कौन कहता है कि बात  नहीं हुई! कहने सुनने को कुछ नहीं रहा, कौन बताए ऐसी क्या बात हुई? आपकी हमारी जो मुलाक़ात नहीं हुई, क्या कोई बात है? कोई बात नहीं हुई! भीड़ बन गया है हर कोई हर जग़ह राय अलग है सो कोई बात नहीं हुई! "मन की बात" अब सियासत है, बड़े बेमन से मन की बात हुई!

हम तुम

गुम हैं, कभी खुद में, कभी तुम में, कभी हम में, हम हैं, कभी साथ, कभी अकेले, कभी साथ अकेले, तुम हो, कभी साथ, कभी अकेले, कभी तुम, प्यार है,         इश्क भी,           और मोहब्बत इक़रार भी,    कभी अश्क़,        कभी बंदगी तक़रार भी,    कभी रश्क़।        कभी बगावत सरसवार भी,  कभी फ़रहत       दिलअज़ीज़ आदत                            (bliss) गम हैं, ख़ुशी भी, शिकायत भी, शरारत भी ज़ख्म हैं, दवा है, दर्द भी, और दुआ भी नज़दीकी, कभी रूमानी, कभी रूहानी, कभी बेमानी हामी, कभी इनकार, कभी तक़रार, कभी इसरार मानी, कभी मनमानी, कभी बेमानी, कभी नानी😊 दूरी, कभी खुद से, कभी तुमसे, कभी अनबन से रास्ते कभी अपने कभी सपने कभी चखने मोड़, कभी बहकाते कभी बहलाते कभी संभलाते दोनों की अलग फ़ितरत, हर आदत, साथ क़यामत दोनों की एक सोच, साथ की दुनिया हालात की तमाम ताल्लुक़ात की ...

इतफ़ाकी मोहब्बत अपवादी इश्क़!

हाथ पकड़ लेंगे मंझधारे, साहिल कब से सोच खड़े हैं, बरसों से रस्ता तकते धारे हैं, सोच किनारे किस बात अड़े हैं! पहली नज़र का प्यार क्या है? एक उम्र इंतज़ार क्या है? हमेशा रहेगा एतबार क्या है? सर पर भूत सवार क्या है? इश्क एक एहसास है, एक लम्हा कोइ खास है क्यों उम्र भर उम्मीद ओ' सात जन्म कि बात है? मोहब्ब्त में हर घड़ी जन्नत है, फ़िर क्यों सात जन्म की मन्नत है? इश्क जिस्म है तो तमाम हैं, रुह है तो एक है, इतेहाद है, ज़ज़्बात है तो पल की बात, सोच, एक ख़याली पुलाव है! दो दिल मिल जाऐं तो इश्क है, ख़्यालात एक हों तो इश्क़ है, मुख़ालिफ़त दिलकशी की बात, क्यों किसी को किसी से रश्क है? इश्क़ घरफुँक तमाशा है, जन्नत नसीबी का रास्ता है, कोई एकदम अकेला इसमें, किसी का दुनिया से वास्ता है! जिस इश्क़ में सब जायज़ है, वो सोच कितनी नाज़ायज़ है?

कैसे कहें कि इश्क़ है!

शौक इश्क है, कद्र इश्क है, समझ सके किसी का, वो दर्द इश्क़ है! इश्क़ नज़र है, मिलना, झुकना, फेर लेना, तरेर लेना, चुराना, नचाना कभी बचना, कभी बचाना इश्क इलाज़ है, मर्ज़ नहीं, रवैया है दिल का, फ़र्ज़ नहीं,  बचपन है, बचपना नहीं, सोच में पड़ गये, फ़िर इश्क़ क्या? इश्क़ सफ़र है, रुकने का नाम नहीं, क्यों आप किसी जिद्द पर अड़े हैं? 'हम ऐसे ही' तारीख़ हो गयी बात है, हाथ में हाथ है अब बदले हालात हैं! इश्क़ एकतरफ़ा ही होता है, इसमें इतफ़ाक तमाम होता है! जरुरत होती है किसी को, कहीं फ़क़त ज़ज़्बात होता है! इश्क़ ज़ज्बात है, हरदम किसी का साथ नहीं, अपने से भी कीजे थोडा, यूँ बुरे हालात नहीं!! इश्क़ नज़र है, हरदम नज़र मिलने की बात नहीं, अपने गरेबाँ झांकिए ये आइनों की बात नहीं!! वो लम्हा जब आसमाँ के नज़दीक खड़े, बादलों से बतियाना इश्क़ नहीं तो क्या? और अचानक नज़र आये फूल को उठा, सूंघ कर मुस्कराना इश्क़ नहीं तो क्या! रास्तों में एक मोड़ है इश्क, मुसाफिरी आशिक़ी का नाम है! क्या फर्क पड़ता है हमसफ़र, कौन, और कितनी दूर कोई मक़ाम है?

दिल और मुकम्मल मोहब्बत!

दो दिलों के बीच एक झरोका है, दो ज़िस्मों से फ़रक जो हमेशा अलग हैं, दो चिराग एकरूप न हों, जब रोशन होते हैं तो एकात्म हो जाते हैं आशिक की तलाश अंजुमन नहीं, जब तक चाहने वाले की भी तलाश यही न हो, आशिकों की आशनाई उनका ख्याल बनती है, दिल-ए-अज़ीज़ की मोहब्बत, हमें मुकम्मल और रोशन करती है! - रूमी अफ़सोस न करो, जो भी खोया है, कुछ और बनकर वापस आता है, ज़ख्म वो जगह हैं, जहाँ से रोशनी हमारे अंदर का रस्ता ढूंढ्ती है, प्यार करने वाले आखिरकार कहीं नहीं मिलते, वो हमेशा से ही एक-दुसरे में मौज़ूद हैं,  प्यार को खोज तुम्हारा काम नहीं है, काम है उन सारी दीवारों को गिराना,  जो तुम्हारे रास्ते आती हैं और, जो तुम ने अपने अंदर बनाई हैं! जब तुम्हारी रूह तुम्हारा काम करती है,  एक दरिया अंदर बह उठता है, आनंद का, क्यों अपने को कैद कर रखा है? जब दरवाज़ा पूरा खुला हुआ है? ये मोहब्बत है,  आगे के अंजाने आसमानों तक ले जाने वाली, हर पल हजार पर्दों को हटाने वाली,  पहले . . .  ज़िन्दगी से अपनी पकड़ छोड़,  और फ़िर एक कदम आगे, बिन पैर, अपनी होशियारी ...

नज़र नजरिया नज़रअंदाज़!!

अंदाज़ इ नज़र से क्या अंदाज़ लगाएं, दिल की सुनें या अपना दिमाग लगाएं! मोहब्बत हरदम एकतरफ़ा ही होती है एक दूसरे से हो ये महज़ इत्तफ़ाक़ है! क्यों अफ़सोस है की आप नज़रअंदाज़ हैं, मोहब्बत ज़ेब में रख घूमने की चीज़ नहीं! इश्क़ है तो इंकार नज़रअंदाज़ क्यों, प्यार एहसास है दिल धड़काता है, सामान नहीं जो ख़रीदा जाता है??? अंदाज़ लगाएं उनकी नज़र से या नज़रअंदाज़ करें, समझ नहीं आता कहाँ से अफ़साना ए आगाज़ करें! बहुत सी अदाएं उनकी ओ एक अंदाज़ ए नज़र, तमाम तूफ़ान पाल रहे हैं और उस पर ये कहर! सच है कि उसने हमें नज़र अंदाज़ किया हमने भी इस सच को नज़रअंदाज़ किया! यूँ अब उनकी नज़रों के अंदाज़ हो गए, नज़र आये नहीं की नज़र-अंदाज़ हो गए? जब से उनका अंदाज़-ए-नज़र देखा, अपने आप को नज़र अंदाज़ कर दिया! अंदाज ए नज़र को नज़रअंदाज़ कीजे, दिल की बात है दिल से समझ लीजे! अंदाज़ नज़र का नज़र अंदाज़ कर दिया, हमने आगाज़ किया उसने अंजाम दे दिया!