उम्मीद छोड़ दी पूरी , आज़ाद हो गए! थोड़े थे आज पूरे ही बरबाद हो गए!! गिले - शिकवे सारे बेआवाज़ हो गए! नफ़रत के खिलाड़ी नाबाद हो गए !! अपने से ही अब सारी शिकायतें हैं! अपने इरादों के दगाबाज़ हो गए !! दिल रखना है बस अपना किसी सूरत! गुम अपने से ही सब सरोकार हो गए !! सराब जितने थे आज़ खराब हो गए! कसर नहीं बची हम पूरे मक्कार हो गए! ! मुगालते नहीं कुछ , पूरे तैयार हो गए ! अपने से किए वादों के बेकार हो गए !! तमाम यकीन थे सब फ़रेब निकले! अपनी समझ के हम नाकार हो गए! ! अब क्या खुद को आईने दिखाएं! अपने अक्स खुद् को नागवार हो गए !! उम्र से कोई शिकायत कभी न थी! आज और थोड़े हम तैयार हो गए !! जश्न के शोर हैं अपनी ही गलियों में! एक और सफ़र के आसार हो गए !! नश्तर जो भी थे सब सवाल हो गए ! जख्म तमाम अब लाइलाज़ हो गए !!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।