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बाप रे बाप!

अपने ही अपनों के बाप हो रहे हैं, आजकल सब घूंसा लात हो रहे हैं! सुनना किसे है, बोलना सबको हैं, जो नहीं चाहिए वो जमात हो रहे हैं। लंबी लड़ाई है ओ सब को जल्दी है, नतीज़ों के सब हालात हो रहे हैं! सवाल मत पूछो इन हुक्मरानों से, ताकत को सब आदाब हो रहे हैं! सच इश्तेहार नहीं, इश्तेहार सच है, काले पैसे किस के आबाद हो रहे हैं? रज़ामंद हो या पाकिस्तान चले जाओ देश भक्ति के नए जज़्बात हो रहे हैं!   प्रधान मन की बात, मनमानी है, जुमले सारे ख़यालात हो रहे हैं! अपनी बात तय, है उसी की जय-जय एकतरफ़ा सब ताल्लुकात  हो रहे हैं! मंदिर वहीं बनाते, गाय कहाँ ले जाते? कातिल आपके सवालात हो रहे हैं!!

राय-मशवरा?

ताजा खबरों से क्यों बदबू आती हैं? किस तहज़ीब की बात बतलाती है? बद से बदतर हैं, ये हालात, अक्सर हैं! आज सड़क पर थे, कल आपके घर पर हैं? अपने से क्यों दूर हैं, क्यों भेड़चाल मजबूर हैं? सवाल पूछना भूल गए? कही-सुनी के शूर हैं? जानकारी के उस्ताद हैं, किनारों के गोताखोर, जो नज़र में सब सच है, बस उसी का सब शोर! खुद से खामोशी है, या अजनबी मदहोशी? नज़र नही आते कत्ल या नज़रिया बहक गया? बाज़ार है, सामान भी, सच की दुकान भी, ख़रीद रहे हैं सब, ओ बस वही बिक रहा है!! डर का ख़ामोशी, न्यूज़ चैनल के शोर, तिनके डूब रहे हैं, किसके हाथों डोर? दिमाग प्रदूषित है और  सोच कचरा बनी है, न जाने इंसान ने क्या क्या  सच्चाई चुनी है! सूफ़ियत तमाशा बन गयी है, फ़कीरी धंधा बनी है, बाज़ार ख़ुदा हुआ है ओ सच्चाई दुकान है!