मेरी प्यारी बर्बादी अपने लिए अपनी ही हवस , ख़ुद को बनाएगी या मटियाएगी? एक हक़ीकत मेरी , मेरी कितनी सच्चाइयों को निगल जाएगी? मैं कम हूँ या ज्यादा कम? रिजल्ट हूँ अपना , या दुनिया का थन , किसी के हाथों निचुड़ता , पिघलता , रहने को आजाद , और बहने से बर्बाद? क्यों ने अपनी बर्बादी अपने हाथों ले लूं?
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।