माँ तुझे प्रणाम चपल जल धारों में रचित प्रकृति की सुन्दरता में हरित शीतल हवाओं में प्रफुल्लित खेतों खलियानों में लहराती माँ शक्ति विदित माँ स्वेच्छित चमकते चाँद के स्वप्न में गौरान्वित खेलती शाखों और उद्वत लहरों पर विराजित सम्रद्ध तरुवरों में आच्छादित माँ तुम्हारे गोद में सुगमित मधुर आनंदित माँ तेरे पैरों में मस्तिक मधुर सुर वन्दित माँ तुझे प्रणाम (और सरल भाषा में) माँ तुझे प्रणाम बहते पानी की तीव्रता से तैयार प्रकृति की हरियाली से चमकें दिशाएं चार खुशहाल हवाओं की ठंडक खेतों और मैदानों में लहराती, माँ तेरी ताकत माँ स्वतंत्र चांदनी रातों के सपनो की शान झूलती शाखों और गूंजती लहरों की जान फलदार पेड़ों से लिपटी मुस्कराती खिलखिलाती माँ तेरे पैरों में सर झुकाते मधुर सुर मे...
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।