जमूरियत के सब जमूरे बन गये हैं, मुफ़्त मिल रहा है वो सच खरीदे हैं! चौबीसों सात आप पर पैनी नज़र है तमाशाई कौन है ये फ़रक कैसे कीजे? खबर ये है कि आपको खबर ही नहीं, और आपको खबर है कि खबर ही नहीं! आपके सच ऐसे हैं कि आपको सच का असर नहीं, वो नज़र आयेगा कैसे जो आपको नज़र ही नहीं! जो आपको असर कर दे उसकी खबर है, जो खबर है उसका आपको असर ही नहीं! क्या खबर है और किसको खबरदार करें, बिक गये रद्दी में अब जिसको अखबार करें!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।