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और आप बडे?

बस इतने ही हम हैं! और आप? कहते हो ज़रा गहरा जाओ? गहराई डुबोती है, सतह सुरक्षित होती है, तारीख गवाह है, लाखों भूखे बेपनाह हैं,  तीर मार लिया,  आपने - पुर्वजों? दिन पे दिन खत्म होती जमीं  कितनी नस्लें,  ये ही तरक्की है,  जिसका एहसान जताते हैं? फ़ुटपाथ पर भीख मांगते बच्चे क्या बताते हैं?