सवाल पूछना, जेल है, नए संविधान के खेल हैं!! अधिकारों की बात गुनाह है, संस्कारी गुंडों को पनाह है!! वक़ालत अपराधियों की करिए! मासूमों के कान रामनाम धरिए!! मोदी, अंबानी, अडानी, सत्य वाणी! आदिवासी, दलित इनका खून पानी!! पिछड़ा, कमज़ोर है तो घुटनों के बल हो, जाति-वर्ग के बीच में कैसे दल-बदल हो!! अम्बेडकर, मार्क्स, फुले सब हराम हैं? सच्चा वही जिनके नाम राम है..? रामदेव, रामपाल, आसाराम और तमाम! सनातन आतंकी तो उसका पुण्य काम? गीता में लिखा है बस वही ज्ञान है? बाकी किताबों का घर क्या काम है? कमज़ोर की आवाज़ शोर है, हाथ उठाए वो तो हिंसा है! सरकार की लाठी कानून है, पूंजीवादी की बात तरक्की!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।