सारी तहज़ीब बेशरम, क्या वंदे क्या मातरम ! चौड़ी छाती के भरम, सावधान सब कदम, क्या है आपका धर्म, जबरन वंदे मातरम! 56 इंच वंदे मातरम, शून्य शर्म, अनगिनत भरम, मूरख सब हम! चरणों में वंदन वंदे मातरम घुटने ऊपर नज़र गयी तो, फिसल गयी बेशर्म! जन गण मन, मन चंचल, मज़हबी दंगल, जय हो! तिरंगे के नाम पर भगवे का धंधा, राम का बंदा, देशभक्त गन्दा! सावधान! भारत माता की जय! विश्राम! कहीं भी पेशाब की जाय! तब शुभ नामे जागे तब शुभ आशीष मांगे सुर्ख लाल सडकों पर, मुँह छिपा कर भागे? जन गण मंगल दायक जय हो गाय के नाम से सबको भय हो!! भारत भाग्य विधाता, नहीं मानते तो, बैग पैक करो घर पाकिस्तान का टिकिट आ जाता!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।