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उमर राव देशजान!?

दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए, ख़बरदार जो मुझ से मेरा हिंदुस्तान लीजिए! देशद्रोही हैं जो करते हैं एनआरसी की बात, क्यों गरीब जान को हलकान कीजिए? कागज़ की बात करते निकम्मे हैं हुक्मरान आता है काम तो नौकरी तमाम कीजिए!! बढ़ रही हैं नफरतें और जा रहीं हैं जान, कैसे रिश्तों को अपने इंसान कीजिए? कितने मतलबी हो करते हो नौकरी की बात, करते हैं खुदकशी खुद को भी किसान कीजिए!! कहने से कोई नहीं हो जाता देश का कागज़ भी कोइसा कैसे मान लीजिए!! दीवार-ओ-दर को गौर से पहचान लीजिए, देश में क्या औकात गरीब की जान लीजिए! #wall build to conceal slum from Trump   बिगुल के सामने  बजाना है..शहनाई, अपना ढिंढोरा पीटने का बस काम कीजिए!

उम्र जान!

चीज़ क्या है संविधान क्या जान कीजिए? लाठी को मिलेगी भैंस ये ही कानून लीजिए! कब सोचा था सर पड़ेंगे ऐसे फिरकापरस्त, मुश्किल न हो आखों पर रेबान लीजिए!! आंखों में उनके सरम कैसे ये मान लीजिए, कपड़ों को देख कर उन्हें पहचान लीजिए! इस हिंदुत्व-स्थान में आपको आना है बार बार, पहले अपने जमीर की ख़ुद जान लीजिए!                          किस ने कहा कि आपका भी है हिंदुस्तान? पहले हज़ार बार जुबां पे श्री राम लीजिए !!! होंगे आप सिक्ख, ख्रिस्ती या मुसलमान, हिंदू का है हिंदुस्तान पहले मान लीजिए!! बड़े प्यार से करते हैं वो नफ़रतों की बात, लीचिंग की बात आप ज़रा आसान लीजिए! मुल्क चीज़ ही क्या, काहे मेरी जान लीजिए, नफ़रत के हर तरफ चलो बागवान कीजिए! भूखे भजन नहीं होता ये है पुरानी बात, करोड़ों का है काम जो श्रीराम कीजिए!!

कश्मीर आई सी यू से!

दो कौड़ी के सब इंसान कर दिए, सरकार ने यूँ फ़रमान कर दिए! हवा, पानी, जमीन, आसमान, अरमान,  कैद कर दिए, कितने आसान काम!  लाठी है हमारी तो सच भी हमारा है, घुटने टेकिए आपके पास क्या चारा है? दिल तोड़ दिए, ज़हन बांट दिए सियासत ने तमाम धागे काट दिए! कश्मीर शिकार करके उसे त्योहार कर दिया, किस तरह जनता को सोच का बेकार कर दिया! ईद किसको मुबारक करें, आवाज़ नदारद है, "खुश होना है" तामील हो! सरकारी इबारत है! ज़ुबान पर ताला है, चाबी नज़रबंद है, ताले टूटेंगे मत कहिए ये हुड़दंग है! सुना है सब आज़ाद हो गए, क्या मजबूरी के आज हो गए? बंटवारे के बीज बो दिए, बात एक कि करते हैं। शैतान लोग ही बढ़चढ़ बात नेकी की करते हैं! आज़ादी के अंधे सारे, बरबादी नहीं दिखती, बंदूकों से कैद एक पूरी आबादी नहीं दिखती? खुशी को मुल्तवी किया, चैन अगवा है, ज़िंदगी सस्पेंशन में है, इंसानियत हज़ार कत्ल है! सिपाही, बंदूक, कानून तमाम,  और आज़ादी ताकत की गुलाम!