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कुछ कुछ होता है!

सूरज खिलता है या की दिन पिघलता है, जलता है इरादा या की हाथ मलता है!  कुछ छुपा सा है, कुछ जगा सा है, कुछ उगा से है, कुछ सुबह सा है! कुछ इरादों सा, कुछ अधुरे वादों सा, कुछ उम्मीदों पे खरा, सच ज़रा ज़रा! कुछ मुस्कान, कुछ आसान, कुछ अंजान कुछ अपना सा लगे है और कुछ मेहमान! कुछ पूरा सा, कुछ अधूरा सा, कुछ जमूरा सा, आपकी नज़र है कुछ, कुछ सपना हुआ पूरा सा! कुछ रास्ते सा, कुछ मकाम तक, अजनबी है रोज, हररोज पहचान कर! कुछ बेबाक सच, कुछ बेखौफ़ कोशिश, कुछ हौसला अफ़ज़ाई कुछ हसीन कशिश!