कोशिश नापिये, वही मंज़िल जाती हैं, हर कोशिश अंजाम है, क्यों 'मुश्किल'पहचान है! रेत के भी महल होते हैं, इरादे घड़ियों से न नापो! हर तिनका आसमान है, गर उसे अपनी पहचान है! हर पत्ता हवा है, उसको रुख पता है! हर बून्द समन्दर काबिल है, हर तहज़ीब बड़ी ज़ाहिल है! नज़र हो तो बून्द समंदर है, समझो क्या आपके अंदर है! बिना जमीं के आसमान कुछ नहीं, मुश्किल न हो तो आसां कुछ नहीं!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।