सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

होली लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बुरी होली!

शैतान सोच की बोली है, "बुरा न मानो होली है"! मनुवादी बीमार बोली है, "बुरा न मानो होली है"! आतंक की बोली है, "बुरा न मानो होली है"! जबरन, दबंग सोच बोली है, "बुरा न मानो होली है"! बलात्कार की बोली है, "बुरा न मानो होली है"! रंग तमाम सोच #UnHoly है "बुरा न मानो होली है"! सच से आँख-मिचौली है! "बुरा न मानो होली है"? गंगा स्नान की बोली है! "बुरा न मानो होली है"!  "आज सब चलता है," बोल शैतान हाथ फिसला है! किस संस्कृति की बोली है? "बुरा न मानो होली है"!! (अगर सोच में पड़ गए हैं या भावनाएं उछल रही हैं तो ये लेख भी पड़ लीजिए-) https://www.thelallantop.com/tehkhana/meow-how-holi-remains-a-festival-of-licensed-harassment-and-assertion-of-masculinity/amp/

बुरा मानो कि होली है!

सरकार की लाठी बोलती है,  नौज़वानों से वृंदावन होली खेलती है,  हैदराबाद में सरफ़ुट्टवल करके,  आज़ादी के खून से खेली है, बुरा न मानो होली है! नदी नीयत सब सूखी है,  जमीन प्यासी है, भूखी है,  किस तरह की जिद्द है, फ़िर, "बुरा न मानो होली है?" बुरा न मानो, गोली है,गाली है, घूंसे-लात, गिरेबां में हाथ, होली है, दहेज़ में बोली है, मर्दों की दुनिया में औरत, जलती है, और बड़बोली है! बुरा न मानो, प्रजा बड़ी भोली है, भक्त है, और ख़ाली इसकी झोली है, लगे है सब इसमें इश्तेहारी सपने भरने, कौन देखता है की आज़ादी की होली है? बुरा न मानो चोली है,  चरित्र-ए-मरदुए की होली है,  नीयत से आज़ाद है,  ये किशन की बोली है,  नारायण, नारायण! बुरा न मानो मौसम गर्म है,  आग सी लगी है, बदन में,  ठंड़ा करने का कोई मर्म है,  मर्द को शरीफ़ साबित करना धर्म है!

कीचड़-ए-होली!

होली मुबारक हो बुरा न मानो , आज कीचड़ रंग है , इसलिये दुनिया रंगीं बनी है ! सच पूछिये तो कीचड़ में सनी है , सवाल है , साल भर कहाँ रहती है ? ये कीचड़ ? बेशरम आखों में                  कीचड़ = बलात्कार फ़ैले हुए हाथों में                  कीचड़ = रिश्वत अमीर इरादों में                  कीचड़ = किसानों की अपनी जमीन से बेदखली झूठे वादों में                  कीचड़ = राजनीति अंधे यकीनों में                  कीचड़ = ब्राह्मणवाद मज़हबी पसीनों में                  कीचड़ = दंगे . . . .  होली है सब भूल जाओ , माफ़ करो , दिल साफ़ करो यानी होली भी गंगा स्नान है साल भर की कीचड़ आज साफ़ है खुद ही गलती और खुद ही माफ़ है , बुरा न मानो जो आप का गरेबाँ फ़ाड़ दिया होली की यही रवायत है आपको क्...

रंग पहचाने से!!

अं धेरों पर रंग डालते हैं यारब , या रंग काले करते हैं दिल बहलाने को मज़हब ये कैसी चालें चलते हैं ! अ रसों से छुपाये थे , आज अंधेरे दिन में बाहर निकले हैं ,    रंगों की चादर ओढ कर , न जाने कितने हाथ फ़िसले हैं !! मुँ ह काला करने की रवायतें पुरानी हैं ,      सफ़ेदपोशों की कोई ये शैतानी है ! बु रा न मानो थोड़ी ज़बरजस्ती करते हैं , बाज़ार गर्म है , इज़्जत सस्ती करते हैं !!    घि स घिस के रंगी चेहरे सफ़ेद करते हैं , इस तरह लोग रातों को सुबह करते हैं ! अ पने मज़हब के हम यूँ ही यकीं हो गये , संज़ीदगी के अपनी ही शौकिं हो गये , आसमां अपने सारे जमीन हो गये दिल में डुबो हाथ , देखिये रंगीं हो गये हा थ रंगने को मिट्टी बहुत है , फिर भी लोग खून लाल करते हैं मौत कोई बीमारी नहीं है , काहे फ़िर मुर्ख इलाज़ करते हैं