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चाहिए! चाहिए! चाहिए!

पंसारी की दुकान है उपर आसमान में, हाथ उठे हैं और सबको सामान चाहिए! काम फ़कीरी का ज़रा आसान चाहिए क्यों दुआ माँगें के सुख-सामान चाहिए! क्यों लाउड़स्पीकर भर भजन, इबादत है? नेमत बरस रही है आपको कान चाहिये! लॉटरी वाले का नाम भगवान चाहिए, मन्नत पूरी होना ज़रा आसान चाहिए! क्यों शोर मंदिर-मस्जिद-गिरजे में इतना है, काफ़ी नहीं के सबको इंसान होना चाहिए? बस एक फ़िक्र के दोनों हाथों में लड़्ड़ू हो, भगवान चाहिए या सिर्फ़ भगवान...! चाहिए? हाथ खड़े कर रख्खे हैं मंदिर के भगवान ने, आज़ादी के लिये शायद इंसान चाहिए! सुना, सब कुछ संभव है इंसान चाहे तो,  बस गुंड़े, दलाल, ओ लाठी बंदूक चाहिए!  

दुआ है...आमीन!

यकीन है आप अब भी आप होंगे, अपनी मुश्किलों के माई-बाप होंगे! वैसे ही दिल के साफ होंगे, अपनी चाहतों के पास होंगे! ज़िन्दगी गुज़र रही होगी रोज़ाना, और आप हर लम्हा एहसास होंगे! दुनिया बदल रही है तेज़ी से, रोज़ाना आप नए आइनों के खरीदार होंगे! ज़मीं सरकती है पैरों के नीचे, अक्सर इतेमाद!यक़ीनन अपने क़दमों पर होंगे! अपनी ज़रूरतों के तो सब दिलदार हैं, आप अपनी हमदिली के तलबगार होंगे! इस्तेमाल की चीज़ बनी हर खसुसियात, उम्मीद है आप ख़ासियत के बेकार होंगे! सारे रिश्ते और यारी फ़क्त एक 'एप' बने हैं, दुआ है आपके तरक्की से थोड़े गैप होंगे! सारी कामयाबी फक्त कमाई बनी है, ज़ाहिर है आप ऐसी आदतों के गरीब होंगे!