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पहचान एक - मुसीबत

हर मुसीबत आईना है, खुद को नज़र आने को, अपने अंधेरों से रूबरू होने को अपनी रोशनी के परे जाने को, अपने सच के नकाबों के परे, दुनिया के रिवाजों से घिरे पर्दे हटाने का, काम, आसान नहीं है, अपने से पहचान, करना है, आइनों से मुलाकात, दुनिया के तमाम, 'चाहिए'; 'ऐसा ही', 'लेकिन'; 'पर-मगर' शक के परे जाकर, अपने सामने आकर!

अपनी तस्वीर

फर्क नहीं पड़ता कोई, कि खुदा एक है या कई, जरा बताओ, दुनिया की चारदीवारी के बीच, तुम घर हो, या  न घर के न घाट के? क्या तुम हारना जानते हो,  खुद या किसी और के ज़रिये? क्या तुम तैयार हो जीने के लिए, इस दुनिया में, तुमको बदलने, इसकी सख्त जरुरत के बावजूद? क्या तुम पीछे नज़र डाल ये यकीं से बोल सकते हो कि हाँ मैं सही था!? मुझे ये जानना है, कि क्या तुम जानते हो रोजना ज़िन्दगी को झुलसाने वाली, आग में,  पानी होकर अपनी हसरतों के चक्र्वात में, कैसे पिघलते हैं? मुझे ये बताओ, क्या तुम तैयार हो, जीने के लिए, हर दिन;  रोज़ाना! मोहब्बत के नतीजों से और। और अपनी तय हार से उपजे, तुम्हारे सरसवार कड़वे जुनून से? मैंने सुना है,  इस जकड़ती आग़ोश में,  भगवान भी खुदा का नाम लेते हैं!

हकीकत की माया!

वो इंसान ही क्या जो इंसान न हो? वो भगवान ही क्या जिसका नाम लेते जुबां से लहुँ टपके? वो मज़हब ही क्या जो इंसानो के बीच फरक कर दे? वो इबादत कैसी जो किसी का रास्ता रोके? वो अक़ीदत क्या जो डर की जमीं से उपजी है? वो बंदगी क्या जो आँखे न खोल दे? वो शहादत क्या जो सिर्फ किसी का फरमान है? वो कुर्बानी क्या जो किसी के लिए की जाए? वो वकालत कैसी, जो ख़ुद ही फैसला कर ले? वो तक़रीर क्या जो तय रस्ते चले? वो तहरीर क्या जिससे आसमाँ न हिले? वो तालीम क्या जो इंक़लाब न सिखाये? वो उस्ताद क्या जो सवाली न बनाये? वो आज़ादी क्या जिसकी कोई जात हो? वो तहज़ीब क्या जिसमें लड़की श्राप हो? वो रौशनी क्या जो अंधेरो को घर न दे? वो हिम्मत क्या जो महज़ आप की राय है? वो ममता क्या जो मजहबी गाय है, बच्ची को ब्याहे है? वो मौका क्या जो कीमत वसूले? …… फिर भी सुना है, सब है, इंसान, भगवान्, मज़हब, इबादत, क्या मंशा और कब की आदत! अक़ीदत और बंदगी, तमाम मज़हबी गंदगी! शहादत ओ कुर्बानी, ज़ाती पसंद कहानी! वक़ालत, तहरीर, तक़रीर, झूठ के बाज़ार, खरीदोफरीद! तालीम और उस्ताद, आबाद बर्बाद! आज़ाद...

मेरे घर आना. . . जिंदगी!

ज़िंदगी , जिंदगी , ओ जिंदगी . . .  मेरे घर आना  .... आना जिंदगी ,  जिंदगी तमाम रस्ते हैं चलने को , छोटे पड़ते हैं खुद से मिलने को कितने दूर ले जायें अदनी हकीकतें , किस मोड़ मिले अपना आईना आना जिंदगी , मेरे घर आना . . . अपने साथ के सब अकेले हैं , अपनी नज़दीकियों से खेले हैं , रिश्तों का मुश्किल नाम रखा है , क्यूँ नहीं बदलता , बदलता मायना . . . आना जिंदगी , मेरे घर आना . . . रिश्ते लंबाइयों के मोहताज़ नहीं , दो पल का साथ क्या साथ नहीं , चंद लम्हों के लिये जुड़ जायें , करें मुमकिन साथ गुनगुनाना आना जिंदगी , मेरे घर आना . . . टूटी खबरें सारी , क्या जोड़ पायेंगी कब अपनी मुस्कानें हमें रुलायेंगी चलिये अपने यकीन को पालें , पा लें , गुज़ारिश है कहें हमको दीवाना , आना जिंदगी , मेरे घर आना . . . 

अतिशुन्य - गतिशुन्य

“Nothing” is perfect अर्थात 'कुछ नहीं' ही पुर्ण है क्योंकि "कुछ नहीं" में कुछ भी नहीं‌ होता कुछ हो तो वो "कुछ नहीं" नहीं होता और, मनुष्य के पास सब कुछ होकर भी कुछ न कुछ नहीं‌ होता शुन्य अपने आप में पुर्ण है उसे बड़ने घटने की आस नहीं इसी कारण शुन्य का गुणा नहीं भाग नहीं पर मनुष्य को है आगे निकलने की होड़ करता है शून्य के साथ भी जोड़ तोड़ पर हमारी दृष्टि शुन्यता देखो हम शुन्य होने का तैयार नहीं उसकी सहभागिता हमें स्वीकार नहीं मनुष्य को अपनी गलतियों का अंहकार है पुर्णता ढूंढता है पर शून्यता से इंकार है छोटे मुंह, बड़ी बात है पर न चाहें तो भी अपने कर्मों पर अपना अधिकार है और प्रदुषण मस्तिष्क का हो या वातावरण का आजकल जो भी हमारा हाल है शुक्र है जाने-अंजाने लगता है हमारा शून्य होने का विचार है

अज्ञात कहाँ?

  हिम्मत के हथियार कहाँ, कश्ती की पतवार कहाँ, खाली हाथों के बोझ को, कंधे ये तैयार कहाँ? दिखती है सबको हिम्मत,पर अब अपनी ललकार कहाँ, काँटों के मौसम में यारब, गुलशन में गुलज़ार कहाँ ? कारोबार नहीं बदले हैं, पर अब वो बाज़ार कहाँ मुहँ मांगे जो दाम लगा दे, अब वो ऐतबार कहाँ? हरदम बिखरे ही बैठे हैं, कब हम हैं तैयार कहा वही मिजाज़, वही तेवर हैं, समझे ऐसे यार कहाँ? पहले थी कमज़ोर हकीकत, अब कहते शैतान यहाँ, मुलजिम ठहरे तेरे यारब, अब गुस्ताखी माँफ कहाँ? साहिल अब भी वही है, लहरों का संसार वही साथ नहीं छुटा है अब भी, हो गए तुम मंझदार कहाँ? सफर लंबा था थोडा, अपना साथ कहाँ छोड़ा जाहिर हो गए सब रास्तों को, अब हम हैं अज्ञात कहाँ? (सफर का एकांत और उससे झूझती सोच के द्वन्द से पैदा)