हर मुसीबत आईना है, खुद को नज़र आने को, अपने अंधेरों से रूबरू होने को अपनी रोशनी के परे जाने को, अपने सच के नकाबों के परे, दुनिया के रिवाजों से घिरे पर्दे हटाने का, काम, आसान नहीं है, अपने से पहचान, करना है, आइनों से मुलाकात, दुनिया के तमाम, 'चाहिए'; 'ऐसा ही', 'लेकिन'; 'पर-मगर' शक के परे जाकर, अपने सामने आकर!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।