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गुनहगारी कानून!!

मामूली है जो बो ही ख़ास भी है, आसमाँ में भी है आसपास भी है! हलक फूटे हैं हलाक के डर पर भी।    जो घुटन है वो आज तड़प भी है! हलाक - destruction,  slaughter फिक्र है जो वो बेफिकरी बनी है! सवाल है जो वो ही उम्मीद भी है!! सर फूटे हैं और सुर मिल रहे हैं! जहां दर्द है वहीं सुकून भी है!!  (हम देखेंगे, लाज़िम है के हम भी...) बांट दिया इतना के अब साथ खड़े हैं तरतीब में है जोश, वो ही जुनून में भी! ( तरतीब-in order) समझ है बहुत पर होशियार नहीं थे? वार करते हैं क्योंकि तैयार नहीं थे, वुजूद है जो वो ही बावुजूद भी है? जो कानून है वो ही गुनाह  भी है! बेड़ियाँ उनकी क्यों हमें मंजूर हैं? जो कन्याकुमारी वो ही कश्मीर भी है?!