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ये कैसे रिश्ते?

रि श्ते 'जरूर' होते हैं,  क्यों पर मजबूर होते हैं?  जितने नज़दीक हों,क्यों,  उतने मगरूर होते हैं?  रिश्ता मतलब साथ है  इज़्ज़त है, विश्वास है  फ़िर क्या इतना उकसाता है?  क्यों कोई हाथ उठाता है?  अब क्या रिश्ता रह जाता है? क्या सिखा रहे हैं रिश्ते,  समाज धर्म, व्यवस्था  "गर्व करो" जो जैसा जहां  सवाल की जगह,  कहां?  बड़ो की मानो  वो भी नतमस्तक होके परंपरा जानो, मानो  सीता पर शक  द्रौपदी पर बाज़ी,  काट दो नाक कान  अगर नहीं राज़ी  लगा दो इल्ज़ाम  "शूप्रणखा" वो कौन सी दुनिया होगी,  सब की जिसमें जगह होगी?  साथ ही साथी की वज़ह होगी  मोहब्बत इज़्जत से नापी जाएगी  ताकत सरताज़ नहीं होगी,  खुद को बनाने के लिए  दुसरे को तोड़ना नहीं होगा,  दुनिया के नाप से कोई  कम न होगा,  आज़ादी और क्या है?