रास्ते, चलते हुए, यहां-वहां जहां-तहां हर ओर से निकलते हुए, हर लम्हा, एक एक पल हमसफ़र बनने तैयार, आप कहाँ अकेले हैं? सफ़र में? "ट्रस्ट द प्रोसेस" रास्ते किसी को रोकते नहीं, कभी टोकते नहीं, 'नज़र नहीं आते?' आप कदम क्यों नहीं उठाते, फिर कहिए, क्यों? मेरे पैरों के नीचे नहीं आते? क्यों अपने शक आज़माते हैं? शक नए रास्तों से घबराते हैं! अपने कदमों को अपना यकीन कीजे, आसमाँ-अरमान को जमीन कीजे, मुमकिन? .....सफ़र में Swati साथ☺️
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।