देशभक्ति का बड़ा तगड़ा बंदोबस्त है, नफरत के फूलो से गुलशन शगुफ्ता है! कल तक तो हम मोह्ब्बत थे, आज क्यों नफ़रत हैं, हम तो वही हैं, किसकी ये फ़िरकापरस्त फ़ितरत है? गुलाम अली सुनना अगर पाकिस्तान है, फिर तो इस देश में लाखों ऐसे अवाम है! हंगामा है क्यों इतना कि कोई गुलाम अली है, कितनी तंग अक्ल है कौनसे कुँए में पली है!??? ये कौन सी गुलामी है कि भीड़ में सोचना है, गुलाम अली को सुनेंगे उसी को कोसना है एक मुल्क दुश्मन है तो वहां के इंसान इंसान नहीं, इंसानियत का गणित इतना भी आसान नहीं एक इंसान सिर्फ अपना मुल्क, मज़हब, जात लगे, बड़े गरीब आजकल मुल्क के हालात लगे सुन के देख लो आप भी गुनगुना देंगे, कानों को कान रखिए क्यों वो गुलाम होंगे? गुलाम अली गाते हैं आप सुन सकते हैं, टांग अड़ाने वालों के घुटने में कान होंगे! जो डर गया सो मर गया - गब्बर सिंह किसी का अक्ल घांस चर गया - आइना! मेरे लिये तो गुलाम अली खास हैं, और कोई बातें निरी बकवास हैं!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।