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एलिमेंट्स

  कोई लड़ाई नहीं है, हवा पानी पहाड़ में, जमीन आसमान में, आग और पानी में? पानी बुझा देता है, आग उड़ा देती है आपको लगता है ये लड़ाई है? खासी तंग सोच पाई है! यही सोच तहज़ीब बनी है, तरक्की का बीज बनी है, पीछे छोड़ देना, आगे जाने की शर्त है, ये कैसी यही कवायद है? आखिर सीखा क्या हमने, कुदरत से? पानी और आग की दोस्ती? जब साथ आते हैं,  हवा हो जाते हैं! हवा और पानी  जमीन की सवारी हैं, सदियों से ये सफर जारी है! कोई किसी से कम नहीं, न कोई किसी पर भारी! हर कोई वजह है,  जगह नहीं, पानी, हवा, आग, जमीन, कायनात के कलाकार हैं, कई प्रकार है, तमाम आकार हैं, और जहां जरूरी हो, शून्य, सिफर होने तैयार हैं! बड़ा छोटा, कम ज्यादा, आगे पीछे, ऊपर नीचे इस द्वंद, इस जंग में फंसे आप कब इन कलाकार से सीखेंगे??

पानी समंदर!

हर वज़ह पानी है, हर जगह, कितने मानी हैं, रोक रहा है रस्तों को, ओ कहीं सफर की रवानी है, कभी हवा है, कभी मौसम, रंग भी नहीं, कोई, ढंग भी नहीं, शिकायत भी है, ओ जश्न भी, कभी सवाल है, कहीं मलाल है, कहीं हिमालय है, कभी आपका गाल है, किसी का तीर, किसी को ढाल है, कहीं गंगा नाला, हलक सूखा निवाला घाट घाट का, कभी चुल्लू काफी, कभी पानी पानी आपकी हक़ीकत, अपनी ही कहानी, नज़र आ रहा है क्या, और किसकी है निशानी!