आज़ाद होंगे वो जिनकी आखों पर पर्दे हैं , बात उनकी करें जिनके पास दिल है, गुर्दे हैं ? कितने आज़ाद हैं जो सलाखों के पीछे हैं, अपने यकीन से अपने इरादों को सींचे हैं! आज़ाद घूमते हैं हरसू कितने जो ग़ुलाम हैं मुँह पर किसी और कि नफ़रत के पैग़ाम हैं! आज़ादी है किसी को तो ख़बर है, उगल रहे हैं जितना भी जहर है! क्या किसी का हम बिगाड़ लेंगे? पैरों के नीचे से जमीं उखाड़ लेंगे? भीड़ आज़ाद है, उसके मुंह खून लगा है, अनेकता में एकता का नया तौर चला है! हजारों बहादुर आज़ादी से डर गए हैं, कितने गुनाहों को खामोशी कर गए हैं! कितने कायर जो गुलामी से डरते हैं, बेशर्म सब अधिकारों की बात करते हैं!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।