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हमारे विकल्प

बहुत विवाद है? मुश्किल में हैं? चिंता, शंका आपके दिल में है? जिनको बोलना चाहिए  वो चूहे से बिल में हैं! किसकी सुनें, किसकी मानें, लाठी अपनी किस पर ठानें? काहे के मर्द, कैसे मूछें तानें? बतलाए कोई, क्या करें बहाने? चिंता न करें आपके पास कई विकल्प हैं! चुनिए! विवेक से गुनिए, अंधभक्त सा न बनिए!  (a) मंदिर रेप करने के लिए हैं  (इतिहास गवाह है, देवदासियों की कसम) (b) मंदिर में भगवान नहीं होते (बाउंसर होते हैं जिनको पूजारी कहते) (c) रेप में भगवान शामिल थे  (आप लेफ्टिस्ट, देशद्रोही, हिंदू विरोधी हैं, जान बचानी है तो भागिए) (d) पूजापाठ से रेप का अपराध माफ़ होता है  (ये विकल्प चुनने से आप को "योगिश्री की उपाधी मिलेगी) (e) रेप हुआ ही नहीं  (ये ऑप्शन चुनने पर बीजेपी की आजीवन सदस्यता मुफ्त) (f) लड़की मुसलमान थी  (इस ऑप्शन के साथ आपको बीजेपी, आरएसएस, विहिप की सदस्यता मुफ्त) (g) भारत माता की जय   ( ये ऑप्शन अगर आपने चूना तो मर्दानगी का इलाज कराने के लिए हकीम साहनी से मिलें, पता - लखनऊ स्टेशन के रास्ते ...

मर्द के दर्द!

कौन कहता मर्दों को दर्द नहीं होता , हम बस बयाँ नहीं करते , पैरों के बीच , ... वो . . . मतलब . . . यानि . . . न न ,  दिल में छुपा रखते हैं , खुद ही दारु - दवा करते हैं , थोड़े अंधेरों को हवा करते हैं , पर क्या करें ये खुजली कि बीमारी है , आप तो समझते ही होंगे , ( मतलब देखेते ही होंगे ) क्या करें कंट्रोल ही नहीं होती , और लातों के भूत , हाथों से नहीं मानते , अब आप को समझना चाहिये न . . . सामने क्यों आते हैं , सदियों से यही होता आया है , पेड़ , पहाड़ और औरत , इन पर चढ कर ही हम मर्द होते हैं , ये मत समझिये हमें दर्द नहीं‌ होता , अब हम तो मानते हैं , हमसे कंट्रोल ही नहीं होता , और फ़िर हम भेदभाव नहीं करते , 6 महीने की बच्ची , 60 साल की बूढी , स्वस्थ , सुंदर या अंधी - गुंगी , अमीरी से ढकी या गरीबी से नंगी , नोचते वक्त हम रंग नहीं देखते , और देखना क्या है ,  ज़ाहिर है , प्यार अंधा होता है , और उसी का धंधा होता है , बस सप्लाय कम है , ड़िमांड़ ज्यादा , वैश्वियकरण की नज़र से देखिये समस्या आसान है , ...

मेरी माँ . . . .तेरी माँ की!

हम वो तहज़ीब है जो सीता का राम करते हैं, तेरी माँ की. . . . .बड़े एहसान करते हैं! मेरी बहन की रक्षा की कसम खाई है तेरी बहन की. . . आज़ बारी आयी है! माँ-बहन है, आदर से प्रणाम करते हैं,  ........... किसी और की, चल पतली गली में तेरा काम करते हैं, कहते हैं इश्क़ में हर चीज़ जायज़ है, थोड़ी जबरदस्ती कि तो क्यों शिकायत है? भुख-प्यास माँ से लिपटकर मिटाई है, आदत है बुरी, क्या हुआ जो तु पराई है! बापों से बदसलुकी की आदत आई है, और माँओं ने अपनी खामोशी छुपाई है स्त्री हमारा धन है, पुरुष मन है, जाहिर है, औरत बिकती है और मर्द की मनमानी है! मर्द की छेड़छाड़, उसकी नादानी है, औरत का सड़कों पर होना बेमानी है!