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हम लोग!

  रीढ़ की हड्डी पहले ही नम थी, अब ऑक्सीजन भी कम है! जो बोया वही काटते हैं, आख़िर किस बात का गम है? सच का सामना हुआ अब, तो मन की बात झूठ लगती है? अब पछतावत होत का, नफ़रत ऐसे ही फलती फूलती है! जो नज़र ही न आए, वो सच है के झूठ? भक्ति का काम है जपें "बहुत खूब, बहुत खूब"! मरने वाले सब लाश हो गए, ज़िंदा हैं जो काश हो गए, ध्यान से सुनिए खबर, सच सब सत्यानाश हो गए! अच्छों अच्छों के पाप धुले हैं,  डुबकी लो बस आप भले हैं! उनके गुनाह नहीं गिनते मूरख,  जो गाय दूध-मूत धुले हैं! कुम्भ_करन को सब जाएं,  करमकांड को करम बनायें, भक्ति मोह-माया बन गई,  एक दुजे से होड़ लगाएं!