सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

Clouds लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अनगिनत सच!

आज ये हाल है, बादल पूछ रहे हैं, आपका क्या सवाल है? क्या काया है, क्या माया है? हर लम्हा सौ का सवाया है! किस को बनना बोलें, किस को बिगड़ना? अनगिनत सच, एक साथ,  कोई किसी से भिड़ता नहीं है, न कोई चिढ़ता है! सब जानते हैं,  खुद से कोई कुछ नहीं है, जमीं से आसमाँ बनता है, पहाड़ से बादल, पेड़ से हवा, कौन सौ, कौन सवा, कीजिए "मैं" को हवा, पल बनिए, लम्हा चलिए, मर्ज़ी उस रास्ते निकलिए, जो है बस अभी है, या मौका फिर कहाँ, कभी है! आज़ाद हो जाइए, आबाद हो जाइए! Swati साथ at The Chirping Orchard Honestly in Mukteshwar.

बादल अनलिमटेड़!

बादल , पागल , चले ज़मीन आसमान एक करने खाई का फ़रक लगे भरने , बेअक्ल या बेलगाम , सुरज की रोशनी को मुँह चिढाते , इतराते , इठलाते , भरमाते , नरमाते , पल - पल उम्मीदों को अजमाते , खड़े रहो कंचनजंघा अहम के साथ इस भरम में कि उंचाई विजय है , और बस एक छोटा सा टुकड़ा , जिसे न अहम है न वहम खोते - खोते होता हुआ , या फ़िर होते - होते खोता हुआ , आपकी झूठी सच्चाईयों को गह लेता है , दो पल के लिये ही सही , मोक्ष - एक पल का ही एहसास है , क्या आपके पास खालिस विश्वास है ?