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इश्क़ समझ!

इश्क़ इज़हार है, समझदा र को इशारा नहीं, चलते बनिये जो उनको गवारा नहीं, खेलते खुजाते रहें, जिसे ज़ेब में रख्खा तमाशा नहीं,   इश्क़ जज़्बात है, मर्दानगी त्योहार नहीं, और बांट दे वो खुशी से  "हां", उनकी, दिवाली का खील बताशा नहीं! हंसकर बात करते हैं, ये हस्ती है उनकी, खुद को पसंद करते हैं, मुगालते हैं आपके, जो सोचे, आप पर मरते हैं!! इश्क़ साथ है,  दो लोगों की बात है, मिल्कियत नहीं, कोई मेरा हो गया, मान लेना, रिश्तों की नज़ाकत नहीं! इश्क़ सफ़र है, हमसफ़र सी बात है, मंज़िल नहीं, हासिल हो गया, बात ख़त्म, आशिक़ी की तर्ज नहीं! इश्क़ इज़हार है, इंकार है, इसरार है, इम्कान है, आसान नहीं, बात चलती रहे, हर सूरत जज़्बातों का मर्ज़ नहीं!

नवीन

एक आह है जिसे गुमराह करते हैं, यूँ टूटकर जो आप दिलों को तरते हैं!! बेइंतहा ईश्क है आपके सीने में, काहे कमबख़्त कायदा करते हैं!! तमाम खूबियां हैं यारब तुझमें, क्यों बस खामियों का जायज़ा करते हैं? एक ख़लिश का ये लंबा सफर है, कुछ तजुर्बे ताउम्र असर करते हैं!. कितने आसान हैं साथ जब हों, जो सामने वही आईने दिखते हैं! कितने शिकन चल गुज़रे पेशानी से, खामखाँ ही इतनी फिक्र करते हैं! देर आये, दुरुस्त आये, चुस्त आये, यूँ भी अपने यकीन असर करते हैं!

क्या बात हुई?

कल तो जैसे रात ही नहीं हुई, आपकी हमारी जो बात नहीं हुई! बात करके बोले कि बात नहीं हुई, क्या बोलें, ये तो कोई बात नहीं हुई! ख़ामोश थे दोनों क्या बात करें, पर कैसे कह दें की बात नहीं हुई! सुनना था उनको सो ख़ामोश थे, शिकायत, 'ये तो कोई बात न हुई'! नज़रें बोलती हैं, अंदाज़ बोलते हैं, कौन कहता है कि बात  नहीं हुई! कहने सुनने को कुछ नहीं रहा, कौन बताए ऐसी क्या बात हुई? आपकी हमारी जो मुलाक़ात नहीं हुई, क्या कोई बात है? कोई बात नहीं हुई! भीड़ बन गया है हर कोई हर जग़ह राय अलग है सो कोई बात नहीं हुई! "मन की बात" अब सियासत है, बड़े बेमन से मन की बात हुई!