फिर आ गयी सिरहाने से, एक सुबह जाग उठी है! आज सुबह बस आई सी है, कुछ ज्यादा अलसाई सी है! छुट्टी मांगी नहीं मिली, सूरज की भी नहीं चली! गुस्से से लाल पीला है, जागा अभी अकेला है! पुरे दिन पर सुबह छलकी पड़ी है, धुप तेज पर सर्दी को हल्की पड़ी है! सर्द रातों को सबक सिखाने, बद्तमीज सुबह जरुरी है? सर्दी में सुरज की बदतमीजी बड़ी हसीन है, बेशर्म हो कर ज़रा धुप को छू लेने दीजे!! सुबह शाम है और दिन रात भी, सब कुदरत है और करामात भी!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।