ये पतंग है, पर सिर्फ पतंग नहीं, ये तबीयत है, नेक नीयत है, मसला-ए-तरबियत है! आसमाँ से मिलने को चलती है, 'नाही कोयू से बैर' बेफिक्र मचलती है! न कोई जल्दी है, न बेचैनी, उड़ना ही आसमान है, काम कितना आसान है! न डर किसी का, न मंज़िल का दवाब, जैसे सच कोई ख्वाब! कल्पना की उड़ान है, इसी में तो जान है, न कटना, न काटना आनंद मिलना, बांटना! (श्रीलंका, कोलंबो में पतंग उड़ाते है, काटते नहीं! एक पतंग 100 मीटर लंबी देखी, यूँ भी संभव है अगर काटने, हड़पने, झटकने, चिल्लाने से बाज़ आएं! )
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।