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सच कहानी!

बात पुरानी है, सच में कही, अब कहानी है, जिस को नज़र आ गयी, उसकी जानी है, मानी है, दूसरों को 'maybe'! बेमानी है! तो आखिर सच है क्या? अनिभिज्ञ, अंजान, अजनबी? अनदेखी, कैसे मानें, फ़िर भी, सब यकीन खुदा हैं? कही-सुनी, बात पुरानी, कहने को सब की जानी, या सिर्फ़ मानी, बेमानी! सच्चाइयां नहीं समाती दुनिया के दिए पैमानों में, जो कह रहे हैं दिलोदिमाग, और ज़ज्बात उनके शब्द नहीं बने, तो जो है वही कहना होगा, सच हज़म नहीं होता, वो किस्सा कहना होगा!

भूल-चूक, लेनी-देनी!

जो गुज़र गया एक ख्वाब था जो रह गयी एक याद है! जो गुज़र गयी एक आस थी जो रह गयी एक प्यास है! जो कह डाली वो बात है, जो बची वो तन्हा रात है! जो मिल गया एक साथ था जो खो गया वो प्यार है? जो ठहर गया एक पल था जो गुज़र गया वो वक्त है! जो टूट गया एक तार था, जो रह गई एक झंकार है! जो है वोही सब हालात हैं, संभले नहीं वो जज़्बात हैं! तुम हो तो सारी बात है,  जो नहीं तो वोही बात है! जो दब गई वो आवाज़ थी, जो बच गई वो खमोशी है!