अंदाज़ इ नज़र से क्या अंदाज़ लगाएं, दिल की सुनें या अपना दिमाग लगाएं! मोहब्बत हरदम एकतरफ़ा ही होती है एक दूसरे से हो ये महज़ इत्तफ़ाक़ है! क्यों अफ़सोस है की आप नज़रअंदाज़ हैं, मोहब्बत ज़ेब में रख घूमने की चीज़ नहीं! इश्क़ है तो इंकार नज़रअंदाज़ क्यों, प्यार एहसास है दिल धड़काता है, सामान नहीं जो ख़रीदा जाता है??? अंदाज़ लगाएं उनकी नज़र से या नज़रअंदाज़ करें, समझ नहीं आता कहाँ से अफ़साना ए आगाज़ करें! बहुत सी अदाएं उनकी ओ एक अंदाज़ ए नज़र, तमाम तूफ़ान पाल रहे हैं और उस पर ये कहर! सच है कि उसने हमें नज़र अंदाज़ किया हमने भी इस सच को नज़रअंदाज़ किया! यूँ अब उनकी नज़रों के अंदाज़ हो गए, नज़र आये नहीं की नज़र-अंदाज़ हो गए? जब से उनका अंदाज़-ए-नज़र देखा, अपने आप को नज़र अंदाज़ कर दिया! अंदाज ए नज़र को नज़रअंदाज़ कीजे, दिल की बात है दिल से समझ लीजे! अंदाज़ नज़र का नज़र अंदाज़ कर दिया, हमने आगाज़ किया उसने अंजाम दे दिया!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।