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अप्रैल, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऑक्सीजन!

 .......(फूलती साँसे)  ........हाँफते हाँफते एम्बुलेंस....?  रिक्शा, ठेला....जो मिल जाए सो! अस्पताल इंतज़ार, लंबी लाइन कागजात ऑक्सीजन ऑक्सिजन ऑक्सीजन ........ (खामोशी) .........(कोई जवाब नहीं) ..........(अबकी बार, इंतज़ार) ऑक्सीजन ऑक्सिजन ऑक्सीजन सरकार कहाँ है?  ओह! चुनाव रैली!! , अरे "A" को ऑक्सीजन चाहिए (ट्विटर पर x) अच्छा में पूछता हूँ, (ट्विटर पर Y) Y (व्हाट्सअप ग्रुप में)  अरे! "A" को ऑक्सीजन चाहिए XYZ,  पूछो, बताओ, पता करो, (व्हाट्सएप, टिवटर, फेसबुक, इंस्टा) हां मिला! उसको बताओ, कनेक्ट कराओ,  वहां पहुंचाओ!! ऑक्सीजन ऑक्सिजन ऑक्सीजन हां मिल गया हां मिल गया हां मिल गया  हां मिल गया हां मिल गया.... 1. अब शायद बच जाए! 2. बच गए! 3. हस्पताल में बिस्तर नहीं है! 4. मिल गया, पर अब देर हो गयी! 5. अब ऑक्सीजन नहीं, क्रियाकर्म करवा दीजिए! ..... अब की बार, अंतिम संस्कार!!

ज़ज़्बा ए इम्कान!

ज़मीन देखिए हमारा आसमान देखिए, हल्की सी चहरे पर मुस्कान देखिए, मुश्किल है! तो क्या आसान देखिए! सफर का सारा इंतज़ाम देखिए! एक हम ही नहीं है हमसफर उनके, जो आप उनके तमाम काम देखिए!! क्यों नहीं हो सकता आसमां में सुराख, इस जज़्बे पर रवैया इम्कान देखिए! कितनों को हांसिल है हमदिली उनकी, दिल का उनके खुला मैदान देखिए!! शोहरत से फिर भी ख़ासा डर है, कोई कह न दे 'अल्हा!' "बड़ा काम" देखिए! *Imkan - possibilities

मरता क्या न करता?

मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं, गधे नेता वोटों की घांस चर रहे हैं? मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं, सांसे कम पड़ रही हैं, और हस्पताल! मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं, चुल्लू काफ़ी फिर भी गंगा तर रहे हैं! मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं, भगवान बचाए, सो वो रास्ता कर रहे हैं! मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं, फिर भी लाखों सच से मुकर रहे हैं? सरकार निकम्मी है, नाकार और दुष्ट, मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं! इलाज के लिए दर दर भटक रहे हैं! मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं!! मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं, साहेब तस्वीर में फिर भी चमक रहे हैं!! मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं, भूखे, मजदूर, लाचार, दो मौत मर रहे हैं! देशभक्ति में सवाल न पूछने मजबूर हैं! मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं!! मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं, कोविड मरीज़ दाढ़ी जैसे बड़ रहे हैं! किसकी? दवा और दुआ दोनों ही मुकर रहे हैं! मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं!! मरते क्या न करते इसलिए मर रहे हैं, वोट आपके बड़ा कमाल कर रहे हैं?

आबाद तबाही!

तबाही में सब आबाद होते हैं, यूं इस मुल्क में बरबाद होते हैं। चौखट पर बैठे हैं हैवानियत के, इस दौर में जो नाबाद होते हैं? एक ही बीमारी के सब मरीज़, नफ़रत के अपनी धारदार होते हैं! मज़लूम हैं वो ही बर्बाद हैं, ओ हम पूंजीवाद के क्यों तरफ़दार होते हैं? ख़ुद से सोचना गुम होता हुनर है, हवा की रुख के अब सवार होते हैं! पेशेवर सब नए गुलाम हैं काबिल, हुक़्म कोई भी हो, सब तैयार होते हैं! क्या मजाल किसी की, अलग सोच ले, जो हैं वो सब दर रोज़ गिरफ़्तार होते हैं!