सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मार्च, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

युद्ध वार लड़ाई!

खेल किसका है,  खिलाड़ी कौन है, और इस खेल अपने को लाचार मानता, वो अनाड़ी कौन है? दुनिया सबकी है, दर्शक कोई भी नहीं, आपको तय करना है, आप खेल रहे हैं या खेले जा रहे हैं? मारे जा रहे हैं, बेचारे जा रहे हैं, खबर पड़ रहे हैं, "हमारा क्या", बोल, खुद को नकारे जा रहे हैं! बड़ी ताकतें, धमाकेदार बम, ये सब में लाज़िम सोचना,'कौन हम'? यूं, खुद को'बेचारे' जा रहे हैं! यही है खेल, बड़ी सारी ताकत कम,कमज़ोर, हम?क्या करें? क्यों अपने को सवाले जा रहे हैं! सोच अपनी है, रखें हमदिली, ओ फैलती नफ़रत को जहर बोल पाएं, ऐसे अपने को संभाल पा रहे हैं!!

मेरे प्रियजनों!

 

रंग बेरंग!!

जमीं नहीं रही अपनी, पैर टूट गए, रहसह के बस मेरे पंख छूट गए! उड़ने के सिवा अब चारा नहीं, इस तरह वो मेरे रास्ते लूट गए! खून से अपने ही महक आती है, नफ़रत को सब, अपने जुट गए! बस एक रंग में सब बातें करनी हैं, मेरे आंगन के सारे मौसम उठ गए! कौन कहता है कि दुनिया मेरी हो, लाइब्रेरी से वो शब्दकोश हट गए! मेरे तुम्हारे अब हमारे नहीं रहे, यूं रिश्तों में मायने सिमट गए! सब के सच अब अलग अलग हैं, ये बोल सब महफिल से उठ गए!