सांसे गुनाह हैं सपने गुनाह हैं,।
इस दौर में सारे अपने गुनाह हैं।।
मणिपुर गुनाह है, गाजा गुनाह है,
जमीर हो थोड़ा तो जीना गुनाह है!
अज़मत गुनाह है, अकीदत गुनाह है,
मेरे नहीं, तो आप हर शक्ल गुनाह हैं!
ज़हन वहां है,(गाज़ा) कदम जा नहीं रहे,
यारब मेरी ये अदनी मजबूरियां गुनाह हैं!
दिमाग चला रहा है दिल का कारखाना,
बोले तो गुनहगार ओ खामोशी गुनाह है,
जब भी जहां भी मासूम मरते हैं,
उन सब दौर में ख़ुदा होना गुनाह है!
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