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नवीन

एक आह है जिसे गुमराह करते हैं, यूँ टूटकर जो आप दिलों को तरते हैं!! बेइंतहा ईश्क है आपके सीने में, काहे कमबख़्त कायदा करते हैं!! तमाम खूबियां हैं यारब तुझमें, क्यों बस खामियों का जायज़ा करते हैं? एक ख़लिश का ये लंबा सफर है, कुछ तजुर्बे ताउम्र असर करते हैं!. कितने आसान हैं साथ जब हों, जो सामने वही आईने दिखते हैं! कितने शिकन चल गुज़रे पेशानी से, खामखाँ ही इतनी फिक्र करते हैं! देर आये, दुरुस्त आये, चुस्त आये, यूँ भी अपने यकीन असर करते हैं!

फ़ादर स्टेन स्वामी

कत्ल हो गया और कातिल कोई नहीं, इस मुल्क का हांसिल कोई नहीं! मोहब्बत की बात करता था जो, नफ़रत को नागवार वो गया! खुश होंगे वज़ीर-ए-कत्ल मुल्क के, हस्पताल में गुठली का दाम हो गया! सोच संघी ताकत सरकारी, इंसाफ पे भारी, इस दौर को असली महामारी हो गया! बस एक गुनाह था के रोशनी था वो,  अंधेरे के सौदगरों को खार हो गया!   नाम स्टेन स्वामी, उम्र 84 साल, क्या मलाल, एक सवाल, एक  सवाल,  और  बस सवाल!