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मई, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उम्दा सफ़र!

  बड़े उम्दा से ये सफ़र रहे हैं, कुछ ऐसे अपने गुज़र रहे हैं! मुश्किल बस एक नज़रिया है, कुछ ऐसे अपने हश्र रहे हैं!! कौन नहीं हैं यहां गुनहगार? पर कहां अपने कोई जिक्र रहे हैं! सब कुछ मुमकिन हैं सुनते हैं, यूं जो दुनिया बदल रहे हैं! शराफत मजहब हुई जाती है, कुछ ऐसे उनके फक्र रहे हैं! उसूल ऐसे की जंग मुमकिन है, पर ऐसे हम कुछ लचर रहे हैं! दुनिया रास नहीं आती फिर भी, कुछ ऐसे अपने बसर रहे हैं! सब हो जायेंगे इंसान एक दिन, पर हम कहां इतना ठहर रहे हैं! कामयाबी की गुलामी नशा है, कुछ ऐसे ही सब बहक रहे हैं! अज्ञात हैं, रिश्ते फिर भी कायम से, कुछ ऐसे अपने असर रहे हैं!

जमूरा जम्हूरियत का!!

चौकीदार - ए जमूरा जमूरा - जी चौकीदार चौकीदार - बोलेगा जमूरा - बोलेगा चौकीदार चौकीदार - जो बोलेंगे वो सोचेगा जमूरा - जी चौकीदार चौकीदार - तोता बनेगा जमूरा - जी चौकीदार चौकीदार - बंदरी बदरंगी बनेगा जमूरा - जी चौकीदार चौकीदार - जो भेजेंगे वो पड़ेगा जमूरा - जी चौकीदार...फॉरवर्ड भी करेगा चौकीदार - सवाल पूछेगा, जमूरा - जी चौकीदार सरकार - क्या ?(थप्पड़, घूंसा, लात) सरकार - सवाल पूछेगा  जनता - नहीं सरकार सरकार - सवाल सोचेगा  जनता - नहीं सरकार सरकार - बोल जंग जनता - जंग जंग जंग सरकार - वार  जनता - वार वार वार सरकार - मार डालो  जनता - मार डालो मार डालो!

मुकम्मलियत मुबारक!

हम भी आतंकी हैं हम भी खूंखार हैं, भयंकर हैं हम, हम भूत सर सवार हैं! कातिल हैं हम, वहशी भी अपरंपार हैं, हम ही शैतान हैं, हम कहां खबरदार हैं! हम छप्पन नहीं बस, हम पैंसठ साठ हैं, सत्तर पचहत्तर हैं हम नंबरदार हैं!! बड़े काम के हैं हम जब हम बेकार हैं, बोझ हैं जमीन पर, मिट्टी के गुनहगार हैं! हम ही बंदूक हैं, टैंक हैं, उड़ती मिसाइल हैं, आने वाली पीढ़ी को बड़ी घटिया मिसाल हैं! हम भगवान भी हैं, हम ही अपने निजाम हैं, हम से गलती नहीं होती, निष्कल आवाम हैं!