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समीकरण/MATRIX



हर लम्हा सिखाता है इज़हार क्या हो

जरा सुनिए दिल की आवाज़ क्या हो

कहने को बहुत करने को बहुत

दुनिया का शोर, डरने को बहुत

कहता है प्यार मरने को बहुत

समीकरण नहीं दिखता,

तो जंजीर क्या नज़र आएंगी

जिंदगी हर लम्हा भरमायेगी




चलने से पहले क़दमों के निशाँ नज़र आते हैं

और सोचते हैं अपने रास्ते जाते हैं, वक़्त

आयेगा नहीं, आप को

आना होगा

प्यार वो है जो जमीं बने

आसमान बने

निशाँ नहीं, परछाई नहीं



एक है सच

कहने करने की बात नहीं

जुडना पड़ता है

पंख नहीं होंगे

यकीं से उड़ना पड़ता है

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