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बुरा मानो कि होली है!

सरकार की लाठी बोलती है, 
नौज़वानों से वृंदावन होली खेलती है, 
हैदराबाद में सरफ़ुट्टवल करके, 
आज़ादी के खून से खेली है,
बुरा न मानो होली है!

नदी नीयत सब सूखी है, 
जमीन प्यासी है, भूखी है, 
किस तरह की जिद्द है, फ़िर,
"बुरा न मानो होली है?"

बुरा न मानो, गोली है,गाली है,
घूंसे-लात, गिरेबां में हाथ,
होली है, दहेज़ में बोली है,
मर्दों की दुनिया में औरत,
जलती है, और बड़बोली है!

बुरा न मानो, प्रजा बड़ी भोली है,
भक्त है, और ख़ाली इसकी झोली है,
लगे है सब इसमें इश्तेहारी सपने भरने,
कौन देखता है की आज़ादी की होली है?

बुरा न मानो चोली है, 
चरित्र-ए-मरदुए की होली है, 
नीयत से आज़ाद है, 
ये किशन की बोली है, 
नारायण, नारायण!

बुरा न मानो मौसम गर्म है, 
आग सी लगी है, बदन में, 
ठंड़ा करने का कोई मर्म है, 
मर्द को शरीफ़ साबित करना धर्म है!





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