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बादल अनलिमटेड़!



बादल, पागल,
चले ज़मीन आसमान एक करने
खाई का फ़रक लगे भरने,


बेअक्ल या बेलगाम,
सुरज की रोशनी को मुँह चिढाते,
इतराते, इठलाते, भरमाते, नरमाते,
पल-पल उम्मीदों को अजमाते,

खड़े रहो कंचनजंघा अहम के साथ
इस भरम में कि उंचाई विजय है,

और बस एक छोटा सा टुकड़ा,
जिसे न अहम है न वहम
खोते-खोते होता हुआ, या फ़िर
होते-होते खोता हुआ,

आपकी झूठी सच्चाईयों को
गह लेता है,
दो पल के लिये ही सही,


मोक्ष - एक पल का ही एहसास है,
क्या आपके पास खालिस विश्वास है?




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