अब हाथों को पीछे मत खींचना, चलो फिर एक आज को कल देते हैं!
हाथ बढ़े हैं आज कदम कब साथ देंगे,
हरकत यकीं को दीजे, मुश्किल को आग देंगे
रंगों में जान देखी, न कहे कि जबान देखी
आप ही अपनी सच्चाई हैं,
और कोशिशें (सारी) हराम देखी
और कलाकार(मुग्धा) ने कहा
रंगों से रंगीले नगर जा पहुँचे
एक नयी दिशा आ पहुँचे
एक नयी दिशा आ पहुँचे
देखें अब खेल नया कोई
अगली दीवार कि सज़ा कोई
सजने कि सज़ा है कबूल कर लीजे
उपनी हरकतों को उसूल कर लीजे
जिन रास्तों के मोड़ नहीं होते
उन रास्तों को फ़िज़ूल कर लीजे
कम्युनिकेशन मीडिया फॉर चिल्ड्रेन के पोस्ट ग्रैज़ुऐशन(एस अन डी टी विश्वविद्यालय पुणे) स्टुडेंट्स और मुग्धा कि अभिव्यक्तिओं पर आधारित
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
बढिया है
जवाब देंहटाएंSundar post ! Swagat hai!
जवाब देंहटाएंAchcha laga
जवाब देंहटाएंजिंदगी हंस के गुजरा है |
जवाब देंहटाएंजो चाहा वो पाया है ||
आशा के पंख मजबूत है |
आओ दुनिया हमारा है ||
sundar aur prashansaneeya post.
जवाब देंहटाएंइस नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
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