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आधाजी आजाजी आदाजी!


कश्मीर में

उम्मीद कैद, आवाज़ कैद, सारे एहसास कैद,
और भी गम हैं जमाने में मोहब्बत के सिवाय!


और लगे हैं सब भेड़ बनने में

और भी राय हैं दुनिया में सबकी एक राय नहीं,
आंखे खोलिए, सुनिए, मत कहना बताए नहीं!


जवान को फ़रमान बस

बलि के बकरों को शहादत का झाँसा,
वाह! सियासत क्या खूब तूने फाँसा!


ताकत सड़कछाप बन गयी है

चुप, ख़बरदार, मुँहबंद, ये जुर्रत
कुछ कहने को है, ये हिम्मत?

"जी हुजूर" बस इतनी इजाज़त है,
बहाना है कहना "लोकतंत्र" आदत है!!


चुप, नफ़रत जारी है

मंदिर कहीं बनेगा, मस्जिद कोई गिरेगा,
और सब ख़ुशी से बेड़ियां गले लगाएंगे!


खासी तैयारी है

"जी हुजूर" बस इतनी इजाज़त है,
बहाना है कहना "लोकतंत्र" आदत है!!


कुछ बोलना भारी है

कितनी बरबाद आज़ादी है?
गूंगी एक बडी आबादी है!


चलिए घांस चरते हैं, 
या चल कहीं मरते हैं!


धर्म के अंधे सब

मंदिर कहीं बनेगा, मस्जिद कोई गिरेगा,
और सब ख़ुशी से बेड़ियां गले लगाएंगे!


खामोशी गुनाह है

हमसे मत पूछो कि हमारा गुनाह क्या है, 
किसका कत्ल हुआ ओ वज़ह क्या है!

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