जिंदा, संजीदा,
नाज़ुक, नमकीन
वजन भी है सृजन भी है,
यूँ ही नहीं खड़ा,
जिद्द पर नहीं अड़ा,
आप नहीं तो कोई और सही,
कोई और नहीं तो कोई और सही,
सवाल आप का भी शायद,
और हमारा भी,
अंजान मंज़िलों के मुसाफ़िर का,
सहारा भी,
सवाल हों,
तो रास्ते खत्म नहीं होते,
न उम्मीद थकती है,
न हौसला पस्त होता है,
और सवाल समन्दर के तल से लेकर,
चाँद के कल तक ले जाते हैं,
मुश्किल या आसान,
ताकतवर या कमज़ोर,
साथ में या ख़िलाफ़त करने,
प्यार या दुत्कार,
सवाल धुरी हैं,
न हो तो हर बात अधूरी है,
और कमाल देखिये
सवाल क्या चाहते हैं?
उनकी क्या मांग है?
दिल सवालों का क्या चाहे?...
एक रास्ता, कहाँ,
एक शख्श - कौन
हर पल एक सवाल
हर लम्हा एक शोध,
शोध! अभी और क्या?
शोध! अभी और क्या?
एक उम्मीद हो, एक प्यास हो,
एक साज़ हो, एक सोज़ हो,
मुबारक आपको
अभिशोध हो!

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