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मौत की दुकानदारी

मौत ले लो मौत, जो ख़रीदे उसका भी भला, जो बेचे उसका भी भला, जो मरे उसको दफ़ना-जला! मौत सरकारी भी है और आतंकी भी, व्यापम भी है और उरी भी, भारत भी है और कश्मीरी भी, फांसी का फंदा है, किसी को धंद्या है! मौत एक बेनामी गाय है, ताकत के हाथों एक राय है! किसी के लिए खर्चा है, किसी के चाय की चर्चा है! किसी की मौत गुस्सा किसी की मौत जूनून किसी की मौत आतंक किसी की जूनून, कोई खुनी, कोई आतंकी कोई देशभक्त, किसी का मारना बहादुरी, किसी का कायरी, किसी को वीरगति, किसी को कुत्ते की किसी की मौत मज़हब किसी की जात किसी का बदला, किसी पर हमला...... ....... फिर भी हम इंसान हैं, जानवरो से अलग, कहने को बेहतर, लगे हर लम्हा इस धरती को करने में बदतर! तरक्की तहज़ीब मुबारक हो!

दावत-ए-ज़िन्दगी!

जिस्मो-जहां की ठरक ठरक ले चल ए दिल किसी और तरफ! सुबह-शाम का कोई फरक, लम्हे चढ़ें सर सरक सरक! नहीं उतरे कोई बात हलक, मेरी दुनिया कोई और फलक! एक सुट्टा और एक जाम अरक, किसको परवा वो क्या है अदब! गले लगने ओ गले पड़ने के फरख, अहमक तहजीबों के कैसे वरक़! अंदाज़ आपके वो लहज़ा-ओ-लहक, इंकलाब इतना के जाये दौर बहक! ज़िंदा हैं सब अरमानों की महक, दावत-ए-ज़िन्दगी बहक बहक!

ख़ामोशी से बातें!

ख़ामोशी बढ़ती है, तो ज़हर बन चढ़ती है, ज़हन ओ जिस्म पे अपना जामा जड़ती है! सुन तो लेते है लोग पर गुन नहीं पाते, बोल देते है बात जो हम सुन नहीं पाते! अपनी समझें कि, कही को माने, जानें किसको, किसको पहचानें! खुद से है कई बातें कह नहीं पाते, अपनी ख़ामोशी भी सह नहीं पाते! तमाम सच सबके एक अपनी हक़ीकत, इतने धारे हैं कि हम बह नहीं पाते! जिसे देखो पतवार लिये खड़ा है ड़र के मारे हम किनारे नहीं जाते! मिलते हैं सब कोई मक़ाम बनकर, काश कोई आये बस कान बनकर! हम से भी ज़रा रायशुमारी हो, जिक्र हो जब बात हमारी हो! पहले कुछ बात हो,  फ़िर बात को साथ हो,  फ़िर कहना के साथ, सफ़र को नहीं आते!

ये क्या होरया?

सड़क पर गड्ढ़ा हो रेया गणपति बप्पा मोरया काला चश्मा पे डांस हो रेया गणपति बप्पा मोरया डंडे से चन्दा इकट्ठा हो रेया, गणपति बप्पा मोरया ईगो जैसा बड़ा मूर्ति हो रेया गणपति बप्पा मोरया सब शेप साइज़ में बिक्री हो रेया घर बैठे सार्वजनिक गणपति बप्पा मोरया मिटटी प्लास्टिक हो रेया गणपति बप्पा मोरया भक्ति में भी चूहा दौड़ हो रेया गणपति बप्पा मोरया नास्तिक होगा जो भूखा सो रेया, गणपति बप्पा मोरया! मूरख कहे कण में भगवन, यकीन कोई न हो रिया ? गणपति बप्पा मोरया! भक्ति कहें एक रिश्ता है,  इतना तमाशा क्यों हो रिया? गणपति बाप्पा मोरया!

बिकाऊ सरकार!

बिक गए एक इश्तेहार बनकर, सर आये जो सरकार बनकर, उनकी शराफत के बड़े चर्चे हैं , जो सरपरस्त है गुनेहगार बनकर जियो(Jio) और जीने दो की बात, बिक गया ईमान बाज़ार बनकर! भरोसा(रिलायंस) करो दिन अच्छे की बात, अंधेर नगरी के चौपट राजा बनकर! फौजी की शहादत, 4G की वक़ालत, धंद्या हर गन्दा है सियासत बनकर! बाँटने छाँटने और काटने की बात, जमहूरियत चल रही रियासत बनकर! मन की बात और विरोध को लात, सच्चाइयाँ तंग हैं हालात बनकर! ! सच के पहलू ज़रा जांच-परख लें -  http://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/Reliance-Jio-got-530-million-undue-benefit-CAG/articleshow/47213222.cms?from=mdr