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आसमाँ आसान!

कैसे आसमाँ में इतने रंग बनते हैं? पेड़, पंछी, हवा मिल के बुनते हैं!! कमी नहीं किसी को किसी की! अपनी मर्ज़ी से ये साथ चुनते हैं! कुछ नहीं आसमाँ बस एक खालीपन है, है किसी की नज़र क्या कम, क्या गम है!! अपनी पहुँच, अपने आसमाँ, अपनी ज़मीं! सफर मुसलसल कोई तय जगह तो नहीं!! आसमान बात करने तैयार है! क्या आपकी डोर आपके हाथ है? चारों तरफ फैला है फिर भी अकेला है, आसमाँ से कैसे कहें ये दुनिया मेला है? आसमान को अपने सच मालूम हैं, "कुछ नहीं है"! ये ही वज़ह है! आसमान में कुछ कमी नहीं है!! सूरज भी, चांद भी ओ सारा जहान, सब कुछ ही है बस एक आसमान! और ये डर के आसमान गिर जाएगा? जमीं पर आपको कब यकीं आएगा??

ये पतंग!

ये पतंग है, पर सिर्फ पतंग नहीं, ये तबीयत है, नेक नीयत है, मसला-ए-तरबियत है! आसमाँ से मिलने को चलती है, 'नाही कोयू से बैर' बेफिक्र मचलती है! न कोई जल्दी है, न बेचैनी, उड़ना ही आसमान है, काम कितना आसान है! न डर किसी का,  न मंज़िल का दवाब, जैसे सच कोई ख्वाब! कल्पना की उड़ान है,  इसी में तो जान है, न कटना, न काटना आनंद मिलना, बांटना! (श्रीलंका, कोलंबो में पतंग उड़ाते है, काटते नहीं! एक पतंग 100 मीटर लंबी देखी, यूँ भी संभव है अगर काटने, हड़पने, झटकने, चिल्लाने से बाज़ आएं! )

सच सुनिए!

बादल बदलाव हैं, हर पल, आज, यहीं, न कभी, न कल! सूरज और कितने समंदर समेटे हुए, यूँ की बड़ी फुरसत से आज बैठे हुए! आसमान के रंग कई, सच एक है, हम-आप रंग देख सच बदलते हैं? सब कुछ साफ़ नज़र आता है, आपका ध्यान कहाँ जाता है? कुछ छुपा नहीं सब सामने है, सच वो जो आपके मानने में है! बादल, बरसात, बूंदों से मुलाकात, समेट रहे हैं ज़िंदगी देती है सौगात! हवा का हर मोड़ पर रवैया बदलता है, बुरी आदत जो सिर्फ एक रास्ते चलता है?

कितने आज़ाद!

जो आज़ाद हैं, बेशर्म, बेबाक हैं, आपके गरेबाँ पर उनके हाथ है!! आज़ादी उड़ती नज़र आती है हाथों से, डोर कहां है ज़रा गौर कीजे हालातों पर! आज़ादी के इस मुल्क में कैसे नसीब हैं, अपने हैं सियासी सारे जो इस के रकीब हैं! किसी को मन की बात है, किसी को घूँसा लात है, एक आज़ादी है जो नाले से गैस बनाती है, राफेल का दाम बढ़ाती है, गुंडों को भक्त कहलवाती है, गौरक्षक से बंब बनवाती है, एक आज़ादी जिसके गले पर कसा हाथ है, क्या मर्ज़ी, क्या मजाल है, रोहित के गले मे फंदा है, बालिका ग्रह में बाप नंगा है, उमर बंदूक के निशाने है, नफ़रत को देशभक्त बहाने हैं! आप भी कहिए मन में क्या बात है, आज़ादी एक दिन है या हालात हैं? आपको अपने विरोधी इंसान लगते हैं? क्या सवाल पूछना देशद्रोह है? राष्ट्रवाद क्यों शातिर गिरोह है?