ये पतंग है,
पर सिर्फ पतंग नहीं,
ये तबीयत है, नेक नीयत है,
मसला-ए-तरबियत है!
आसमाँ से मिलने को चलती है,
'नाही कोयू से बैर'
बेफिक्र मचलती है!
न कोई जल्दी है,
न बेचैनी,
उड़ना ही आसमान है,
काम कितना आसान है!
न डर किसी का,
न मंज़िल का दवाब,
जैसे सच कोई ख्वाब!
कल्पना की उड़ान है,
इसी में तो जान है,
न कटना, न काटना
आनंद मिलना, बांटना!
(श्रीलंका, कोलंबो में पतंग उड़ाते है, काटते नहीं!
एक पतंग 100 मीटर लंबी देखी, यूँ भी संभव है अगर काटने, हड़पने, झटकने, चिल्लाने से बाज़ आएं! )
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