सियासत जुल्म है, हुक्मरान कातिल, शिक़ायत करें, किससे, क्या हांसिल! बड़ी कारोबारी सरकार है, मज़हब इसका व्यापार है। वो सरकार जिसका मज़हबी सरोकार है, सोचा जाए तो मानसिक रूप से बीमार है! सरकार धर्म की ठेकेदार बनी है, छाँट-बांट -काट की नीति चुनी है! आज कल ताज़ा खबर है, नफरत सियासत का घर है! इंसानियत की क्यों सरहदें हैं? हैवानियत क्यों सरकार हुई है? मौत सरकार हो गयी है, बड़ा कारोबार हो गई है!! इंसाफ़ कटघरे में खड़ा है, सियासत चिकना घड़ा है! गायगर्दी कीजिए, सरकारी काम है, गुनाहगारों को अब रामनाम है!!
अकेले हर एक अधूरा।पूरा होने के लिए जुड़ना पड़ता है, और जुड़ने के लिए अपने अँधेरे और रोशनी बांटनी पड़ती है।कोई बात अनकही न रह जाये!और जब आप हर पल बदल रहे हैं तो कितनी बातें अनकही रह जायेंगी और आप अधूरे।बस ये मेरी छोटी सी आलसी कोशिश है अपना अधूरापन बांटने की, थोड़ा मैं पूरा होता हूँ थोड़ा आप भी हो जाइये।