और आप खुद को पहचान गए हैं,
या दुनिया का कहा सुना मान गए हैं?
या दुनिया का कहा सुना मान गए हैं?
आप क्यों दुनिया के हज़म हुए जाते हैं?
अपने मसालों से आप क्यों बाज़ आते हैं?
अपने मसालों से आप क्यों बाज़ आते हैं?
हर एक चीज़ आईना है,
आप क्यों खोए हुए हैं?
आप क्यों खोए हुए हैं?
रोज नए सच सामने आते हैं,
आप आईने देखने कहाँ जाते हैं?
आप आईने देखने कहाँ जाते हैं?
आईने आप को नापते नहीं!
ऊँचनीच आपकी नज़र में है!!
ऊँचनीच आपकी नज़र में है!!
सवाल ही रास्ता हैं,
क्या आप चल रहे हैं?
क्या आप चल रहे हैं?
आप कौन हैं गर ये सवाल है,आजकल?!
पूछिए उनसे जो फिलहाल मिल रहे हैं!!
पूछिए उनसे जो फिलहाल मिल रहे हैं!!
डर रहे हैं? क्यों संभल रहे हैं?
दुनिया चाल! आप चल रहे हैं?
दुनिया चाल! आप चल रहे हैं?
वही मुमकिन जो तय किया है,
आप क्यों उम्मीद बदल रहे हैं?
आप क्यों उम्मीद बदल रहे हैं?
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