नकाबिल दर्द कोई, (ये)कैसा असर होता है?
मौत के काबिल नहीं इसलिए जीते हैं,
कौन कमबख्त जीने के लिए जीता है!
चलों मुस्कुराएं, गले मिलें, मिले जुलें,
यूं जिंदा रहने का तमाशा हमें आता है!
नफ़रत से मोहब्बत का दौर चला है,
पूजा का तौर "हे राम" हुआ जाता है!
हमसे नहीं होती वक्त की मुलाज़िमी,
सुबह शाम कहां हमको यकीं होता है?
चलती-फिरती लाशें हैं चारों तरफ़,
सांस चलने से झूठा गुमान होता है!
नेक इरादों का बाज़ार बन गई दुनिया,
इसी पैग़ाम का सब इश्तहार होता है!
हवा ज़हर हुई है पानी हुआ जाता है,
डेवलपमेंट का ये मानी हुआ जाता है।
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